महासमर: न चले विपक्षियों के तीर, इसलिए पार्टी की लिस्ट से बाहर हुए नरबीर
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बेहद करीबी माने जाने वाले लोक निर्माण एवं वन मंत्री राव नरबीर सिंह को टिकट नहीं मिलेगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था।
सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बेहद करीबी माने जाने वाले लोक निर्माण एवं वन मंत्री राव नरबीर सिंह को टिकट नहीं मिलेगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था। यह तो चर्चा थी कि उन्हें बादशाहपुर के बजाय रेवाड़ी या कोसली विधानसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है। मगर उन्हें टिकट ही नहीं मिला। ऐसे में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। दरअसल राव नरबीर सिंह को टिकट नहीं दिए जाने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जिसमें से एक उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहा मामला है।
राव के खिलाफ करीब तीन माह पहले गुरुग्राम निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हरिद्र धींगड़ा ने हाईकोर्ट में याचिका लगा आरोप लगाया था कि चुनाव के वक्त नामांकन पत्र के साथ दिए गए शपथ पत्र में मंत्री ने शैक्षणिक योग्यता के फर्जी प्रमाण पत्र लगाए हैं। कोर्ट ने राव नरबीर सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भी जारी किया था। मामले की सुनवाई अगली तिथि में होनी है।। सूत्रों के मुताबिक पार्टी चुनाव के वक्त ऐसा कोई विवाद नहीं होने देना चाहती थी जिससे विपक्षियों को मौका मिले और फिर से शिकायत हों। नामांकन जमा कराते ही उनका शपथ पत्र सामने आता और विरोधी फिर से सवाल उठाते। दूसरी वजह यह भी बताई जा रही कि संगठन के कई वरिष्ठ नेता इस बात से नाराज थे राव नरबीर उन्हें अधिक तवज्जो नहीं देते थे। वह केवल मुख्यमंत्री को ही सर्वेसर्वा मानते थे। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत से राजनीतिक लड़ाई भी उनके लिए भारी पड़ी। चर्चा है कि उन्होंने राव नरबीर सिंह का टिकट कटवाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ राव नरबीर सिंह सुबह से शाम तक रहे। यह बात सामने आ रही थी कि शायद उन्हें टिकट मिलेगा पर मुख्यमंत्री सुबह ही बादशाहपुर में कार्यक्रम के दौरान यह कह गए थे कि सब नसीब का खेल है। उनकी बात नरबीर सिंह के समर्थक नहीं समझ पाए।