सेवानिवृत अध्यापक को दस साल बाद भी नहीं मिली पेंशन
मान्यता स्कूलों से सेवानिवृत्त हुए अध्यापकों को अपनी पेंशन पाने में काफी समस्या हो रही है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: सहायता प्राप्त स्कूलों से सेवानिवृत हुए अध्यापकों को अपनी पेंशन पाने में काफी समस्या हो रही है। जिले के अध्यापक संघ के पूर्व अध्यक्ष रामनिवास शर्मा का कहना है कि उन्हें पेंशन के लिए कभी शिक्षा विभाग तो कभी हाईकोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
रामनिवास शर्मा एमएलए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जाटौली हेलीमंडी से मुख्य अध्यापक के पद से 30 अप्रैल 2009 को सेवानिवृत हुए थे। अभी तक शिक्षा विभाग द्वारा उनकी पेंशन लागू नहीं की गई है। रामनिवास का कहना है कि पेंशन को लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट में केस किया। यह केस लगभग 10 साल तक चला और वह केस जीत गए। इसके बाद भी विभाग ने उनकी पेंशन सही तरीके से लागू नहीं की है।
समान कार्य समान वेतन के तहत छठे वेतन आयोग को सहायता प्राप्त स्कूल के पेंशनर्स के लिए एक जनवरी 2006 की बजाय एक अगस्त 2011 से लागू किया गया है। सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को संशोधित वेतनमान एक जनवरी 1996 में दे दिया गया था मगर सहायता प्राप्त स्कूलों के अध्यापक अभी तक इससे वंचित हैं।
इन पेंशनर्स की मांग है कि सहायता प्राप्त स्कूलों से सेवानिवृत हुए अध्यापकों व मुख्य अध्यापकों को भी सरकारी स्कूलों से सेवानिवृत हुए मुख्य अध्यापकों की तरह ही वेतनमान व अन्य सुविधाएं मिलें। गुड़गांव विकास मंच के प्रवक्ता अजय शर्मा ने भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, शिक्षा मंत्री कंवर पाल सिंह गुर्जर, शिक्षा विभाग के निदेशक व जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की है कि वह सभी सहायता प्राप्त स्कूलों के पेंशनर्स की समस्याओं का जल्द ही समाधान करें।