सूबेदार मेजर नरेश को प्रदेश सरकार ने किया सम्मानित
भारतीय थलसेना के सिगनल कोर में तैनात गांव बास पदमका निवासी सूबेदार मेजर नरेश यादव को साल 2012 में वीरता पुरस्कार मिलने पर प्रदेश सरकार की ओर से भी सम्मानित किया गया। सरकार की ओर से उन्हें पुरस्कार स्वरूप साढ़े पांच लाख रुपये का चेक दिया गया। नरेश को सम्मान मिलने के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दिखी। पूर्व जिला पार्षद श्रीभगवान व सरंपच विनोद ने प्रदेश सरकार के साथ-साथ यूनिट केसीओ कर्नल चक्रवर्ती, राज्य सैनिक बोर्ड व जिला सैनिक बोर्ड के अधिकारियों का आभार जताया।
डॉ. ओपी अदलखा, पटौदी
भारतीय थलसेना के सिगनल कोर में तैनात गांव बास पदमका निवासी सूबेदार मेजर नरेश यादव को साल 2012 में वीरता पुरस्कार मिलने पर प्रदेश सरकार की ओर से भी सम्मानित किया गया। सरकार की ओर से उन्हें पुरस्कार स्वरूप साढ़े पांच लाख रुपये का चेक दिया गया। नरेश को सम्मान मिलने के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दिखी। पूर्व जिला पार्षद श्रीभगवान व सरपंच विनोद ने प्रदेश सरकार के साथ-साथ यूनिट केसीओ कर्नल चक्रवर्ती, राज्य सैनिक बोर्ड व जिला सैनिक बोर्ड के अधिकारियों का आभार जताया। हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि प्रदेश सरकार वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को राज्य कोटे से भी पुरस्कार देती है, परंतु नरेश को सम्मानित करने में सरकार ने छह साल लगा दिए।
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हिमस्खलन के दौरान बचाई थी दोस्तों की जान: नरेश को वीरता पुरस्कार उनके अदम्य साहस के लिए दिया गया था। वर्ष 2012 में वे सोनमर्ग (जम्मू कश्मीर) के निकट अपने 15 साथियों के साथ तैनात थे। उनसे दो सौ मीटर की दूरी पर ही 32 सैनिकों की एक अन्य टुकड़ी तैनात थी। 20 फरवरी 2012 को वहां हिमस्खलन हुआ और बर्फीला तूफान आया, जिससे उनकी छावनी पूरी तरह बर्फ से ढंक गई। इस दौरान सूबेदार नरेश कुमार ने अपने साथियों के सहयोग से 29 सैनिकों की जान बचाई थी। उनके साहसिक कार्य के लिए उसी वर्ष 26 जनवरी को भारत सरकार द्वारा 'मेंशन इन डिस्पैच' पुरस्कार दिया गया था।