खिलाड़ियों को विदेश में प्रशिक्षण का इंतजार
नीति बनाई गई थी तो खिलाड़ियों को सपना दिखाया गया था कि उभरते हुए खिलाड़ियों को विदेश में प्रशिक्षण का मौका दिया जाएगा। यह सपना खिलाड़ियों को टोक्यो 2020 ओलंपिक को लेकर दिखाया गया था। खिलाड़ियों की तैयारी के लिए प्लान किया गया था कि खिलाड़ी विदेश भेजा जाएगा यह विदेशी प्रशिक्षक लाया जाएगा। लेकिन साढ़े चार सालों में ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा होता है तो हरियाणा देश का पहला प्रदेश
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : वर्ष 2015 में प्रदेश की खेल नीति बनाई गई थी तो खिलाड़ियों को सपना दिखाया गया था कि उभरते हुए खिलाड़ियों को विदेश में प्रशिक्षण का मौका दिया जाएगा। यह सपना खिलाड़ियों को टोक्यो 2020 ओलंपिक को लेकर दिखाया गया था। खिलाड़ियों की तैयारी के लिए प्लान किया गया था कि खिलाड़ी को विदेश भेजा जाएगा या विदेशी प्रशिक्षक लाया जाएगा। लेकिन साढ़े चार सालों में ऐसा नहीं हुआ।
अगर ऐसा होता तो हरियाणा देश का पहला प्रदेश होता, जो राज्य स्तर पर अपने खिलाड़ियों की तैयारी के लिए विदेश में प्रशिक्षण करा रहा है। क्योंकि अभी तक राष्ट्रीय खेल एसोसिएशन ही सीनियर स्तर पर विदेशी प्रशिक्षक या विदेशों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है।
2015 में अधिकारियों का तर्क था कि राष्ट्रीय खेल एसोसिएशन नेशनल स्तर पर पदक विजेताओं को कैंप में शामिल करता है। लेकिन यह खिलाड़ी ज्यादातर सीनियर वर्ग के होते हैं। प्रदेश में जूनियर वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो प्रशिक्षण शिविर में शामिल नहीं हो पाते हैं और वह भविष्य में देश के लिए पदक जीत सकते हैं।
कुश्ती, तैराकी, एथलीट, हॉकी खेलों के अलावा अन्य खेलों के खिलाड़ियों को यह सुविधा देने के लिए तैयारी की गई थी ताकि उभरते हुए खिलाड़ियों को सुविधा मिले। क्योंकि जब खिलाड़ी सीनियर वर्ग में जाता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय समय पर मुकाबले के लिए तैयार होने में समय लगता है। अगर जूनियर स्तर पर विदेशों में प्रशिक्षण व मुकाबले मिलेंगे, तो तैयारी अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी। प्लान अच्छा था अगर इसे लागू कर पाते तो हरियाणा का खिलाड़ी विश्व में छा जाता। यहां खिलाड़ी को अच्छी सुविधा देने की जरूरत है। उसी देश के खिलाड़ी ज्यादा बेहतर रिजल्ट देते हैं, जहां के खिलाड़ी एक दूसरे देशों में जाकर प्रशिक्षण लेते हैं।
- फूल कुमार, पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी