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सड़क और पानी नहीं तो वोट नहीं

कई दिनों तक जल संकट से जूझ रही साउथ सिटी टू की महिलाएं बुधवार को देर शाम स्थानीय आरडब्ल्यूए कार्यालय में आकर धरने पर बैठ गई। महिलाओं ने प्रशासन विरोधी नारे भी लगाए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 06:43 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:43 PM (IST)
सड़क और पानी नहीं तो वोट नहीं
सड़क और पानी नहीं तो वोट नहीं

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कई दिनों से जल संकट से जूझ रही साउथ सिटी-टू की महिलाएं बुधवार को देर शाम स्थानीय आरडब्ल्यूए कार्यालय में आकर धरने पर बैठ गईं। महिलाओं ने प्रशासन विरोधी नारे भी लगाए। महिलाओं का कहना था साउथ सिटी में पिछले कई दिनों से पानी कम आ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि साउथ सिटी टू के सभी ब्लॉक में पानी बहुत कम आ रहा है। इससे रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टैंकर मंगाने पड़ रहे हैं। गर्मी शुरू होते ही यह हाल है तो आगे क्या होगा?

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गर्मी के इस मौसम में पानी की जरूरत बढ़ गई है। किचन का काम हो या सफाई का काम रोजाना पानी की कमी के कारण घरों में चिक-चिक हो रही है। साउथ सिटी-टू के डी ब्लॉक की महिलाओं ने कहा कि हमारी कॉलोनी के दो प्रमुख मुद्दे हैं सड़क और पानी। अगर हमारी सड़क बनवाने और पूरा पानी उपलब्ध कराने की गारंटी स्थानीय विधायक राज्य सरकार के मंत्री राव नरबीर और सांसद राव इंद्रजीत नहीं लेंगे तो हमलोग वोट नहीं डालने निकलेंगे। हमारी समस्याओं का समाधान होना चाहिए।

करीब 220 एकड़ में फैले सेक्टर 49 स्थित साउथ सिटी-टू में लगभग 2500 घर हैं। यहां कुछ हिस्सों में हर साल पानी की किल्लत हो जाती है। इस बिल्डर लाइसेंस कॉलोनी को नगर निगम में शामिल किए जाने का मामला लटका हुआ है। आरडब्ल्यूए अध्यक्ष डॉ. एसएन भारद्वाज ने प्रदर्शन के लिए पहुंची महिलाओं को समझाया बुझाया। उन्होंने कहा कि लोग काफी आक्रोशित हैं। हमारे यहां की सड़कें कई सालों से नहीं बनी हैं। नहरी पानी के लिए जो मीटर लगे थे वह खराब हैं। हमें यह भी पता नहीं चल पा रहा कि कितना पानी आ रहा है। बिल्डर प्रबंधन, नगर निगम और जीएमडीए में गुहार लगा चुके हैं। सभी एक दूसरे का मामला बताकर टाल रहे हैं। बिजली के लिए भी पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है।

साउथ सिटी टू के नगर निगम में शामिल किए जाने के पीछे एक पेंच फंस गया है। यहां के बिल्डर प्रबंधन को नगर निगम को कॉलोनी को हैंडओवर करने से पहले 11 करोड़ 76 लाख रुपये संरचनात्मक सुविधाओं के विकास के लिए देने हैं मगर यूनिटेक ने वित्तीय असमर्थता जताते हुए यह राशि देने के बदले में नगर निगम को उतनी कीमत की जमीन देने की पेशकश की मगर जो जमीन बिल्डर ने निगम को दी है, वो सभी विवादास्पद हैं, और उनके कोर्ट में मामले चल रहे हैं। नगर निगम इस कारण कॉलोनी को अपने अधीन नहीं कर रहा है। इस तरह प्रशासन और बिल्डर प्रबंधन में आपसी सहमति नहीं बनने के बीच में लोग पिस रहे हैं। इसका समाधान सरकार के पास है। इसलिए लोग चुनाव में अपनी पुरजोर आवाज उठा रहे हैं कि सड़क और पानी नहीं तो वोट नहीं।


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