बेटा वर्दी पहने पिता के इस सपने को शुकरदीप व चैतन्य ¨सह ने किया साकार
जिला से दो युवा सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दोनों ने शनिवार को सपन्न हुई पा¨सग आउट परेड में शामिल होने के बाद अपने परिजनों के साथ खुशी साझा की। दोनों युवाओं ने न कि अपने परिजनों की अभिलाषा को पूरा किया बल्कि युवाओं को भी संदेश दिया कि देश सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। वैसे भी गुरुग्राम के जवान देश की रक्षा करने में सदैव अग्रिम पंक्ति में रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जिला से दो युवा सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दोनों ने शनिवार को संपन्न हुई पा¨सग आउट परेड में शामिल होने के बाद अपने परिजनों के साथ खुशी साझा की। दोनों युवाओं ने अपने परिजनों की अभिलाषा को पूरा ही नहीं किया बल्कि युवाओं को भी संदेश दिया कि देश सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है।
अशोक विहार में रहने वाले शुकरदीप ¨सह सगरिया सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। शनिवार को ही शुकरदीप ने पास आउट परेड पूरी की है। शुकरदीप पिछले साल ही चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रे¨नग अकेडमी में प्रशिक्षण लेने के लिए गए थे। उनका चयन सीडीएस स्कीम के तहत यूपीएससी द्वारा किया गया है। उनके लेफ्टिनेंट बनने से परिवार में खुशी का माहौल है। शुकरदीप ने बताया कि वह बचपन से ही सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं। अब लेफ्टिनेंट बनने से मेरा और मेरे परिवार के लोगों का सपना पूरा हो गया है। बेटे को वर्दी में देखने की तमन्ना पूरी होने से खुश एयरफोर्स से सेवानिवृत दलेर ¨सह ने बताया शुकरदीप ने एयरफोर्स स्कूल दिल्ली से स्कूली शिक्षा तथा फरीदाबाद स्थित मानव रचना कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की है। माता मनजीत कौर बसई स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापिका हैं। शुकरदीप ¨सह के बड़े भाई हरमनदीप ¨सह जर्मनी में डॉक्टर हैं। मूलरूप से अंबाला जिले के रमाजोली बराड़ा निवासी शुकरदीप ¨सह ने बताया कि वह करीब 20 साल से गुरुग्राम में ही रहते हैं। सेना में सेवा करने वाली परिवार की चौथी पीढ़ यह कैप्टन मनोज बागोरिया और तरुणा बागोरिया के लिए सबसे बड़ी खुशी का दिन था। आठ सितंबर को उनके इकलौते पुत्र चैतन्य ¨सह बागोरिया ने देश की थल सेना में लेफ्टिनेंट पद पर अपना योगदान दिया। ओम नगर में रहने वाले यह बागोरिया परिवार की चौथी पीढ़ी है जो सेना में सेवा के लिए गई है। माता-पिता ने अपने 21 वर्षीय पुत्र को गोद में उठाकर खुशी व्यक्त की। यह उनके परिवार के लिए बेहद गौरव की बात थी जब बेटा प्रशिक्षण के बाद देश की रक्षा के लिए तैयार हो गया। कैप्टन मनोज खुद सेना में रह चुके है। सियाचीन ग्लेशियर पर दुर्गम परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा की। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से मुकाबले में शामिल हुए। वर्ष 1997 में वे अपनी सेवा अवधि पूरी कर लौटे हैं। कैप्टन मनोज के पिता स्व. कृष्ण कुमार भारतीय वायु सेना में अधिकारी थे। उनके दादा स्व. शिव लाल पहले अंग्रेजी शासन में फिर स्वतंत्र भारत में देश की सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अब चौथी पीढ़ी भी देश की सेवा करने के लिए समर्पण की उदाहरण बन गई है।