सात करोड़ का घोटाला: तीन स्ट्रीट वेंडिग एजेंसियों पर होगी एफआइआर
स्ट्रीट वेंडिग एजेंसी स्पीक एंड स्पैन सर्विस लिमिटेड लिओ मीडियाकाम और एग्मैक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान से संबंधित शिकायत नगर निगम आयुक्त कार्यालय की ओर से शहर थाने में भेजी गई है।
संदीप रतन, गुरुग्राम
गुरुग्राम नगर निगम में हुए स्ट्रीट वेंडिग घोटाले में तीन निजी एजेंसियों के खिलाफ जल्द एफआइआर दर्ज हो सकती है। स्ट्रीट वेंडिग एजेंसी स्पीक एंड स्पैन सर्विस लिमिटेड, लिओ मीडियाकाम और एग्मैक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान से संबंधित शिकायत नगर निगम आयुक्त कार्यालय की ओर से शहर थाने में भेजी गई है। इन एजेंसियों ने स्ट्रीट वेंडिग फीस के सात करोड़ से ज्यादा रुपये निगम में जमा नहीं कराए। इसके अलावा स्ट्रीट वेंडिग जोन में तय संख्या से ज्यादा रेहड़ियां लगाकर नियमों की अवहेलना कर भी निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचाया। दैनिक जागरण ने इस मामले को उजागर किया था और लगातार इस मुद्दे पर खबरें प्रकाशित कीं। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई और अब निगमायुक्त ने तीनों एजेसियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए पुलिस को शिकायत भेजी है।
सात करोड़ से ज्यादा फीस, जमा कराए महज 31 लाख
वर्ष 2016 में रेहड़ी वालों को एक व्यवस्थित बाजार बनाकर जगह देने के लिए इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। 20 सितंबर 2016 से 19 सितंबर 2019 तक इन एजेंसी को काम करना था, लेकिन समय-अवधि पूरी होने के बाद भी डेढ़ साल बाद तक वेंडिग जोन में इन निजी एजेंसी की वसूली चलती रही। ये एजेंसियां 1500 रुपये मासिक प्रति रेहड़ी वसूलती थीं, जिसमें 500 रुपये नगर निगम में जमा कराने थे। नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक इन एजेंसियों से नगर निगम में सात करोड़ रुपये से ज्यादा जमा होना था, लेकिन निगम के खाते में महज 31.51 लाख रुपये जमा करवाए गए।
इस तरह किया गया घोटाला
- निगम अधिकारियों के मुताबिक लिओ मीडियाकाम, एग्मैक और स्पीक एंड स्पैन सर्विस लिमिटेड एजेंसी को स्ट्रीट वेंडिग प्रोजेक्ट का काम सौंपा गया था। सेक्टर 4, 14, 23, 32, 38, 44, 46 और 56 सहित कई सेक्टरों में इन एजेंसी की रेहड़ियां लगाईं।
- तीनों एजेंसी का वर्क आर्डर दिया गया था, लेकिन अभी रिकवरी बाकी है। कुल 3452 रेहड़ियां लगाने का वर्क आर्डर निगम ने इन तीनों एजेंसी को दिया था। 3452 में से 1620 रेहड़ियों का रिकार्ड पाया गया, जिसमें से स्पीक एंड स्पैन (एसएसपीएल) की 429, लिओ मीडियाकाम की 594 और एग्मैक की 597 रेहड़ियां दिखाई गई हैं। शेष 1832 रेहड़ियों का हिसाब नगर निगम के पास नहीं है और एजेंसियां भी इसके बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थीं।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कब होगी कार्रवाई?
वेंडिग एजेंसियों पर अब एफआइआर दर्ज करने के लिए निगम की ओर से पत्र लिखा गया है, लेकिन इस घोटाले में संलिप्त निगम अधिकारियों पर किसी तरह की कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है। सवाल ये है कि 19 सितंबर 2019 को तीनों एजेंसी का वर्क आर्डर खत्म होने के डेढ़ साल बाद तक एजेंसियां रेहड़ी वालों से कैसे वसूली करती रहीं? चार साल बाद भी एजेंसियों ने निगम की फीस जमा नहीं करवाई और निगम अधिकारी गहरी नींद में सोते रहे। साफ है कि निगम के आला अफसर निजी एजेंसियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों को बचाने में लगे हैं।