Move to Jagran APP

अष्टांग योग ध्यान व इष्ट पूजन आदि से आत्मिक बल बढ़ाएं

कोरोना काल ने सिद्ध कर दिया है कि भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 05:24 PM (IST)
अष्टांग योग ध्यान व इष्ट पूजन 
आदि से आत्मिक बल बढ़ाएं
अष्टांग योग ध्यान व इष्ट पूजन आदि से आत्मिक बल बढ़ाएं

कोरोना काल ने सिद्ध कर दिया है कि भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है। प्राचीन काल में सनातन संस्कृति में लोग हाथ-पैर धोकर ही घर मे प्रवेश करते थे। हाथ जोड़कर नमस्कार करते थे। सभा वगैरह में शारीरिक दूरी बनाकर बैठा जाता था। अब कोरोना ने बताया है कि हमारी संस्कृति कितनी सही थी। पाश्चात्य संस्कृति के देशों में जितना कोरोना ने उत्पात मचाया है उतना वह भारत में नहीं कर सका है। कोरोना ने हमें एकांत का भी अवसर दिया है व अध्यात्म में एकांत का बड़ा महत्व है। एकांत में ध्यान लगाएं, अष्टांग योग अपनाएं। चितन मनन एवं अध्ययन करें कि हमारे जीवन का क्या उद्देश्य है। जीवन रक्षा के लिए जहां योग व आयुर्वेदिक पदार्थो के सेवन से अपनी शारीरिक ऊर्जा बढ़ाएं। अष्टांग योग ध्यान व इष्ट पूजन आदि से अपना आत्मिक व मानसिक बल भी बढ़ाएं। महाभारत से पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवान शिव की पूजा का आदेश दिया था ताकि उनकी एकाग्रता बढ़े। एकाग्रता एकांत में अधिक संभव है। कोरोना काल में अपने परिवार के साथ साथ टेलीफोन से समाज व मित्रों आदि के भी संपर्क में रहें। कोरोना काल में घबराएं नहीं। भारत मे ऐसे विपत्ति के अनेक अवसर आए हैं व उनके बाद भारत और मजबूत होकर उभरा है। अब भी भारत इसके बाद और अधिक ताकतवर होकर उभरेगा।

loksabha election banner

(जैसा कि स्वामी विवेकानंद गिरी महाराज ने दैनिक जागरण संवाददाता को बताया)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.