मानव शरीर का प्राप्त होना ही प्रभु कृपा का प्रमाण
डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा मानव शरीर का प्राप्त हो जाना ही प्रभु कृपा का प्रमाण है, जिसमें उत्थान, उत्कृष्ट की सभी संभावनाएं हैं। अब यह हमारे पुरुषार्थ पर निर्भर करता है कि इस संभावना के बीज को किस प्रकार अंकुरित कर इसे अच्छा फल देने वाला वृक्ष बनाएं। केवल दुकान से बीज मिल जाए, इतना ही पर्याप्त नहीं है। उससे अच्छे फल लेने के लिए उसे अच्छी प्रक्रिया भी देनी होगी।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : डॉ. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा मानव शरीर का प्राप्त हो जाना ही प्रभु कृपा का प्रमाण है, जिसमें उत्थान, उत्कृष्ट की सभी संभावनाएं हैं। अब यह हमारे पुरुषार्थ पर निर्भर करता है कि इस संभावना के बीज को किस प्रकार अंकुरित कर इसे अच्छा फल देने वाला वृक्ष बनाएं। केवल दुकान से बीज मिल जाए, इतना ही पर्याप्त नहीं है। उससे अच्छे फल लेने के लिए उसे अच्छी प्रक्रिया भी देनी होगी।
वे ज्योति पार्क स्थित श्रीगीता आश्रम में श्रीगीता साधना सेवा समिति द्वारा आयोजित दिव्य अध्यात्मिक प्रवचन माला के चौथे दिन प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि बीज को अंकुरित होने के लिए अच्छी भूमि की जरुरत है। संतुलित खाद पानी भी मिलना जरूरी है। इसी प्रकार मानव जीवन की सफलता उसकी मानवता से फलदायी होगी। सेवा, सदाचार और सहचरी को खाद पानी देकर इसे उपजाऊ बनाना चाहिए। कार्यक्रम में गीता एवं गाय पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया गया, जिसमें 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और उन्होंने प्रश्नोत्तरी के बेबाकी से जबाव दिए। प्रतियोगी मोक्ष, भक्ति, वेदांता, उदय, आकांक्षा, अर्व बहल, रितिक व नीरज को पुरस्कृत भी किया गया।