सहेज लो हर बूंद: संरक्षण के अभाव में गायब हो रहे तालाब
बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। बारिश की हर बूंद कीमती है इसे सहेजकर लाखों लीटर पानी की बचत की जा सकती है। गुरुग्राम अब लगभग 30 लाख की आबादी वाला महानगर बन चुका है लेकिन आने वाले कुछ सालों में ही यहां पर पानी का संकट हो जाएगा।
संदीप रतन, गुरुग्राम
बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। बारिश की हर बूंद कीमती है, इसे सहेजकर लाखों लीटर पानी की बचत की जा सकती है। गुरुग्राम अब लगभग 30 लाख की आबादी वाला महानगर बन चुका है, लेकिन आने वाले कुछ सालों में ही यहां पर पानी का संकट हो जाएगा। कंक्रीट का जंगल खड़ा करने के लिए तालाबों पर भी कब्जे किए जा चुके हैं। अतिक्रमण और कब्जों के कारण तालाब गायब हो गए। भूजल स्तर काफी नीचे गिरने के कारण बोरवेल भी सूख रहे हैं।
एक सर्वे के मुताबिक पूरे जिले में सिर्फ 123 ही तालाब बचे हैं, इसमें से भी ज्यादातर तालाब बदहाल स्थिति में हैं। तालाबों पर कब्जे हैं, गंदा पानी भरा हुआ है। अगर तालाबों की देखभाल कर इनमें बरसाती नालों के कनेक्शन कर दिए जाएं तो पूरे साल तालाब नहीं सूखेंगे और इनके आसपास हरियाली छाने के साथ ही भूजल स्तर भी सुधर जाएगा। लेकिन जिला प्रशासन, नगर निगम और पंचायतों की अनदेखी के कारण तालाब अपना वजूद खो रहे हैं।
आओ गढ़ें तालाब : दो साल बाद भी नहीं बनी झील
वजीराबाद और सरस्वती कुंज के नजदीक जोहड़ का विस्तार कर झील बनाने की योजना करीब दो साल पहले बनाई गई थी। इसके लिए करीब 32 एकड़ जमीन नगर निगम ने चिह्नित की थी। लेकिन यह कार्य अभी तक शुरू नहीं किया गया है। इसी तरह की योजना 2015 में हुडा ने भी सेक्टर 72 के नजदीक 350 एकड़ में कृत्रिम झील तैयार करने की बनाई थी, लेकिन शहर के अंदर इतनी ज्यादा जमीन नहीं होने के कारण योजना सिरे नहीं चढ़ सकी।
वजीराबाद में झील बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने की थी। इस झील को इस क्षेत्र से गुजर रहे एक प्राकृतिक नाले से जोड़ना था, इससे अरावली की पहाड़ियों से भी पानी पहुंच सकता है। झील नहीं बनने के कारण इस क्षेत्र की सोसायटी में जलभराव हो जाता है। अगर झील का निर्माण कर दिया जाए तो बारिश के पानी को सहेजा जा सकता है। आओ भरें तालाब
नगर निगम क्षेत्र के गांव जहाजगढ़ के तालाब में गंदा पानी भरा हुआ है। गांव के सीवर का कनेक्शन इस तालाब में किया हुआ है। साफ पानी की जगह तालाब में जहरीला पानी भरा हुआ है। पूरे गांव की गंदगी तालाब में बहाने के कारण भूजल भी खराब हो रहा है। गंदा पानी रिसकर जमीन में पहुंच रहा है। करीब दो साल पहले इस तालाब को साफ कर इसे संरक्षित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। स्थानीय निवासी अमित यादव का कहना है कि इस तालाब के संरक्षण के लिए कई बार निगम अधिकारियों से मिल चुके हैं। निगम ने हाल ही में इसका टेंडर लगाया है।
कहां गए तालाब
नगर निगम के गांव सिरहौल और चौमा के तीन तालाब गायब हो चुके हैं। इनकी जगह पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कम्यूनिटी सेंटर और पार्क बना दिए गए हैं। पहले तालाबों की जमीन पर अतिक्रमण हुए, जिससे तालाब सूखने लगे और इसके बाद खाली जमीन पर निर्माण कर दिए गए। तालाबों के गायब होने के कारण इसका असर पर्यावरण पर भी पड़ रहा है।
भीमगढ़ कॉलोनी में दस साल पहले तक एक बड़ा तालाब हुआ करता था। इस तालाब में भीम गढ़ खेड़ी के साथ साथ-साथ आसपास की जगहों का बरसाती पानी एकत्र होता था। मगर अवैध कॉलोनी कटने के चलते तालाब का आस्तित्व मिट गया। कुछ जगह बची हैं वहां पर कूड़ा एकत्र होता है। नगर निगम ने तालाब की खोदाई करने की योजना बनाई थी मगर योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। हालात यह हैं कि तालाब नहीं होने से आसपास का भूजल स्तर दस सालों में काफी नीचे चला गया।