डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये से निर्यातकों को फायदा
इंडस्ट्रियल हब साइबर सिटी में उद्यमियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। तात्कालिक तौर पर इससे निर्यातकों को फायदा होता है। वहीं आयात में नुकसान उठाना पड़ता है। लंबे समय तक रुपये की कमजोरी उद्योग जगत को भी प्रभावित करती है। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के स्तर पहुंच गया था। पहली बार इसने यह स्तर छुआ है। सोमवार को इसमें सितंबर 2013 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: इंडस्ट्रियल हब साइबर सिटी में उद्यमियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। तात्कालिक तौर पर इससे निर्यातकों को फायदा होता है, लेकिन आयात में नुकसान उठाना पड़ता है। लंबे समय तक रुपये की कमजोरी उद्योग जगत को भी प्रभावित करती है।
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के स्तर पहुंच गया था। पहली बार इसने यह स्तर छुआ है। सोमवार को इसमें सितंबर 2013 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। रुपये की कमजोरी आइटी, कपड़ा, ऑटोमोबाइल उपकरण और इंजीनिय¨रग उपकरणों के निर्यातकों के लिए फायदे का सौदा होता है। वहीं विदेश से आयात करने वाली इंडस्ट्री को नुकसान उठाना पड़ता है।
गुरुग्राम की एक गारमेंट कंपनी में जीएम विमल कुमार का कहना है कि निर्यातकों को रुपये की कमजोरी से तात्कालिक फायदा मिलता है, क्योंकि जब उन्हें उनके निर्यात के किए उत्पाद के बदले डॉलर में भुगतान प्राप्त होता है और वह इसे रुपये में बदलवाते हैं तो यह अधिक मिलता है। एक आइटी कंपनी में अधिकारी हिमांशु ¨सह बताते हैं कि गुरुग्राम बड़ा आइटी हब है यहां से बड़े पैमाने पर आइटी एक्सपोर्ट होता है। रुपये की कमजोरी का इस क्षेत्र को लाभ मिलता है। रुपये का लंबे समय तक कमजोर होना ठीक नहीं है। तात्कालिक तौर पर देखा जाए तो इससे निर्यात करने वाली फर्मों को लाभ मिलता है। आयात करने वालों का नुकसान होता है। पेट्रोलियम पदार्थ महंगा हो जाता है। जिसका प्रभाव रोजमर्रा की कई चीजों पर पड़ना संभावित हो जाता है। रुपये की कमजोरी और मजबूती का असर इंडस्ट्रियल हब पर भी पड़ता है।
-एसके आहूजा, महासचिव गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री