फसलों के मुआवजे का आवेदन जमा कराने को भटक रहे किसान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ओलावृष्टी से बर्बाद हुई फसल के आवेदन जमा कराने के लिए क्षेत्र के प्रभावित किसान भटकने को मजबूर हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार ने आवेदन जमा कराने के लिए 72 घंटे का समय दिया है। जबकि संबंधित कार्यालय में ताला लटका हुआ है। तहसीलदार से शिकायत करने पर किसानों को संतोषजनक जवाब नहीं मिला जिसके चलते किसानों में बीजेपी सरकार के प्रति रोष पनप रहा है। किसानों का कहना है कि अगर उनके फार्म समय रहते जमा नहीं किए तो वह प्रदर्शन के लिए मजबूर हो सकते हैं। गांव हाजीपुर के किसान परमजीत ¨सह का कहना है कि वह दो दिन से कृषि अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां पर ताला लटका मिलता है। फार्म कहां जमा होंगे इसका जवाब नहीं मिल रहा है।
संवाद सहयोगी, फरुखनगर: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल के आवेदन जमा कराने के लिए क्षेत्र के प्रभावित किसान भटकने को मजबूर हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार ने आवेदन जमा कराने के लिए 72 घंटे का समय दिया है, जबकि संबंधित कार्यालय में ताला लटका हुआ है। तहसीलदार से शिकायत करने पर किसानों को संतोषजनक जवाब नहीं मिला जिसके चलते किसानों में सरकार के प्रति रोष है। किसानों का कहना है कि अगर उनके फॉर्म समय रहते जमा नहीं किए गए तो वह प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।
गांव हाजीपुर के किसान परमजीत ¨सह का कहना है कि वह दो दिन से कृषि अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां पर ताला लटका मिलता है। फॉर्म कहां जमा होंगे इसका जवाब नहीं मिल रहा है। करण ¨सह गुरवलिया का कहना है कि जब वह तहसीलदार से मिले तो कहा कि यह मेरा काम नहीं है। गुरुग्राम जाकर अधिकारियों से मिलें। अजय पाल का कहना कि एक तो उनकी फसल ओलावृष्टि से नष्ट हो गई और मुआवजा के लिए बीमा कंपनी के फार्म को जमा कराने के लिए तीन दिनों से चक्कर काट रहे हैं।
महाबीर ¨सह का कहना है कि उन्होंने पौने तीन एकड़ में सरसों की फसल उगाई हुई थी, जो कि ओले गिरने से पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है। उन्होंने अपनी फसल का बीमा भी करा रखा है। लेकिन फार्म जमा कराने के लिए दो दिन से कृषि व राजस्व विभाग के दफ्तरों में चक्कर काट रहे है कोई सुनने वाला तो दूर फार्म भी जमा नहीं हो रहे है। खंड कृषि अधिकारी नरेंद्र कुमार का कहना है कि 7 फरवरी को हुई ओलावृष्टि से प्रभावित फसल का सर्वे करने के लिए उनकी विभिन्न गांवों में ड्यूटी लगा दी गई है। स्टाफ कम है जिसके चलते कार्यालय पर ताला लगाने पर मजबूर हैं।