सड़क सुरक्षा सप्ताह : हेलमेट-सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों को जान का खतरा अधिक
वाहन चालते समय सीट बेल्ट एवं हेल्मेट नहीं लगाने की वजह से हर साल काफी लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठते हैं। गुरुग्राम की बात की जाए तो यहां भी काफी लोग सीट बेल्ट पहनने एवं हेलमेट लगाने से कतराते हैं। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद वह अपने जीवन के प्रति सजग नहीं हो रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस के जुर्मानें से बचने के लिए 60 फीसद से अधिक लोग घटिया गुणवत्ता वाले हेलमेट पहनते हैं। कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी द्वारा पिछले साल कराए गए सर्वे के अनुसार में सीट बेल्ट पहनने वाले वाहन चालकों की संख्या महज 25 फीसद बताई गई है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम:
वाहन चलाते समय सीट बेल्ट एवं हेलमेट नहीं लगाने की वजह से हर साल काफी लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा बैठते हैं। गुरुग्राम की बात की जाए तो यहां भी काफी लोग सीट बेल्ट पहनने एवं हेलमेट लगाने से कतराते हैं। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद वह अपने जीवन के प्रति सजग नहीं हो रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस के जुर्माने से बचने के लिए 60 फीसद से अधिक लोग घटिया गुणवत्ता वाले हेलमेट पहनते हैं। कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी द्वारा पिछले साल कराए गए सर्वे के अनुसार सीट बेल्ट पहनने वाले वाहन चालकों की संख्या महज 25 फीसद बताई गई है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की सड़क दुर्घटना रिपोर्ट 2016 पर गौर किया जाए तो देश में लगभग डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं की वजह से दम तोड़ चुके हैं। 2016 में ही जारी एमओआरटीएच की सड़क दुर्घटना रिपोर्ट में कहा गया है कि मरे लोगों में 5,638 लोगों ने सीट बेल्ट नहीं पहन रखी थी। मानक के अनुसार हेलमेट ऐसा होना चाहिए जो सिर के साथ-साथ चेहरा भी ढका रहे या जरूरत के अनुसार उसे हाफ या फुल किया जा सके। बाजार में आजकल हजार से दो हजार रुपये में आइएसआइ मार्क वाला हेलमेट उपलब्ध है। स्टीलबर्ड, स्टड्स, एलएस एरोस्टार व रैंगलर जैसे अच्छे ब्रांड वाले हेलमेट को अच्छा माना जाता है।
अक्सर देखा जाता है कि गाड़ी चलाते वक्त काफी लोग सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं। वहीं पीछे की सीट पर बैठने वाले भी ऐसा नहीं करते हैं। ऐसी स्थित में दो गाड़ियां आपस में टकराती हैं तो उसका पिछला हिस्सा अचानक खुल सकता है और पीछे बैठने वाले सड़क पर गिर सकते हैं। गाड़ी चलाते वक्त सीट बेल्ट नहीं पहनने वाले दुर्घटना के वक्त झटके से गाड़ी के बाहर गिर सकते हैं। सीट बेल्ट लगा ड्राइ¨वग करने वालों की दुर्घटना के वक्त मौत का खतरा 40 से 50 फीसद तक कम रहता है। पीछे की सीट पर बैठे लोगों के लिए यह खतरा 25 से 75 फीसद तक कम हो जाता है। मत्थे के लिए
गुरुग्राम में सड़क हादसे वर्ष 2017 - कुल हादसे 1092 हुए जिनमें 420 लोगों की मौत हुई, घायल 1216 लोग हुए वर्ष 2018 (दस नवंबर तक)
- कुल हादसे 1002 हुए जिनमें 195 लोग मारे गए, घायल 932 लोग हुए