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सड़क सुरक्षा सप्ताह: मंजिल तक सुरक्षित पहुंचना है तो रफ्तार पर रखें काबू

साइबर सिटी की सड़कों पर तेज रफ्तार वाहनों का खौफ लगातार कायम है। यहां आए दिन इस कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं। दिल्ली-गुरुग्राम-वे, पटौदी रोड, सोहना रोड सहित अन्य मार्गों पर बड़े से लेकर छोटे वाहन फर्राटे भरते रहते हैं। कई बार तेज रफ्तार के कारण वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। सर्दी के मौसम में ऐसी घटनाएं अधिक होती हैं। वाहन चालकों में यह गलतफहमी अधिक रहती है कि वह तेज गति से गंतव्य तक जल्दी पहुंच जाएंगे। यह सिर्फ उनका मानसिक फितूर होता है। सड़कों पर नौसिखिया और अप्रशिक्षित वाहन चालक अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन के लिए भी खतरा बने रहते हैं। इन्हें यातायात नियमों की भी जानकारी सही से नहीं होती। वैसे तो वाहन चलाने के लिए लाइसेंस बनाने के नियम काफी सख्त हैं मगर इनका पालन भी ठीक से होना जरूरी है। ऐसा होगा तो ही सड़क पर जीवन सुरक्षित रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 05:50 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 05:50 PM (IST)
सड़क सुरक्षा सप्ताह: मंजिल तक सुरक्षित पहुंचना है तो रफ्तार पर रखें काबू
सड़क सुरक्षा सप्ताह: मंजिल तक सुरक्षित पहुंचना है तो रफ्तार पर रखें काबू

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी की सड़कों पर तेज रफ्तार वाहनों का खौफ लगातार कायम है। यहां आए दिन इस कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे, पटौदी रोड, सोहना रोड सहित अन्य मार्गो पर बड़े से लेकर छोटे वाहन फर्राटा भरते रहते हैं। कई बार तेज रफ्तार के कारण वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। सर्दी के मौसम में ऐसी घटनाएं अधिक होती हैं। वाहन चालकों में यह गलतफहमी अधिक रहती है कि वह तेज गति से गंतव्य तक जल्दी पहुंच जाएंगे। यह सिर्फ उनका दिमागी फितूर होता है। सड़कों पर नौसिखिया और अप्रशिक्षित वाहन चालक अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन के लिए भी खतरा बने रहते हैं। इन्हें यातायात नियमों की भी जानकारी सही से नहीं होती। वैसे तो वाहन चलाने के लिए लाइसेंस बनाने के नियम काफी सख्त हैं मगर इनका पालन भी ठीक से होना जरूरी है। ऐसा होगा तो ही सड़क पर जीवन सुरक्षित रहेगा।

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सड़क सुरक्षा से जुड़े लोगों का कहना है कि अक्सर वाहन चालक यातायात नियमों के प्रति सजग नहीं रहते हैं। उन्हें ट्रैफिक के साइन के बारे में भी ठीक से जानकारी नहीं होती है। इसके बावजूद उनका ड्राइ¨वग लाइसेंस बन जाता है। इनकी सलाह है कि समय-समय पर भारी वाहनों के चालकों का ड्राइ¨वग टेस्ट हर छह माह में लेने की व्यवस्था की जाए। वैसे तो ड्राइ¨वग लाइसेंस बनवाने में गड़बड़ी को रोकने के लिए सरकार ने मोटर वाहन नियमों को सख्त बनाने की पहल की है। अब लाइसेंस बनवाने के लिए किसी मोटर ट्रे¨नग सेंटर से वाहन चलाने का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जा रहा है।

यह बात अक्सर सुनने को मिलती है कि वाहन चालक को झपकी आने से दुर्घटना हो गई। ड्राइ¨वग करते हुए नींद आने की समस्या एक गंभीर मगर स्वाभाविक है। ब्रिटेन में हुए शोध से यह पता चला है कि गाड़ी चलाने के मात्र 15 मिनट बाद ही धीरे-धीरे चालक को झपकी आने लग जाती है। ऐसे में कई बार सड़क दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। जैसे ही चालक को झपकी आने लगती है वाहन चलाने की एकाग्रता और सावधानी बिल्कुल शून्य स्तर पर चली जाती है। ऐसे में अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो करीब 20 फीसद सड़क हादसे चालक को नींद आने से होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद महसूस होने पर पहले गाड़ी को किसी सुरक्षित जगह रोक कर 150 मिलीग्राम कैफीन वाले किसी पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए। इसका असर होने में करीब 20 मिनट लगते हैं। इसलिए आगे का सफर शुरू करने से पहले 15 मिनट आराम करें।

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वाहन चलाते समय इनसे बचें

- स्कूल एरिया में तेज स्पीड में गाड़ी चलाना

- वाहन चलाते समय तेज संगीत सुनना

- ड्राइ¨वग के समय मोबाइल का इस्तेमाल करना

- फोन पर ब्लूटूथ से बात करना

- जेब्रा क्रॉ¨सग को पार करना

- फुटपाथ पर गाड़ी चलाना

- प्रेशर हॉर्न का प्रयोग करना

- हाई स्पीड में लेन परिवर्तन करना

- एंबुलेंस को रास्ता नहीं देना

- सड़क पर रे¨सग करना


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