निजी क्षेत्र में आरक्षण का उद्यमी करेंगे विरोध
सोमवार को कैबिनेट ने निजी क्षेत्र में प्रदेश के लोगों के 75 फीसद आरक्षण को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। इससे साइबर सिटी के उद्यमी काफी बेचैन हैं।
यशलोकसिंह, गुरुग्राम
साइबस सिटी के उद्यमी जिस बात को लेकर आशंकित थे, आखिर वही हुआ। सोमवार को कैबिनेट ने निजी क्षेत्र में प्रदेश के लोगों के 75 फीसद आरक्षण को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। इससे जिले के उद्यमी काफी बेचैन हैं। उनका कहना है कि आरक्षण जैसा कदम औद्योगिक सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सबसे बुरा असर औद्योगिक निवेश पर पड़ेगा। उद्यमियों का कहना है कि जहां भारत एक है की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार का आरक्षण इंडस्ट्री पर थोपा जा रहा है। आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन मानेसर द्वारा इसके विरोध में आंदोलन करने की बात की जा रही है।
आरक्षण की यह व्यवस्था 50,000 से कम वेतन पाने वाले पदों पर लागू होगी। आरक्षण व्यवस्था का पालन निजी प्रतिष्ठानों एवं उद्योगों में हो रहा है कि नहीं, इसकी मॉनीटरिग उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के उपनिदेशक स्तर के अधिकारी करेंगे। ईट-भट्ठों व निर्माण क्षेत्र के कामकाज पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा कुशल कर्मचारियों के विषय में जानकारी एकत्र की जाएगी। आइटी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है। उनका कहना है कि नौकरी योग्यता के आधार पर मिलती है। निजी क्षेत्र में आरक्षण को प्रदेश कैबिनेट ने मंजूरी देकर बिल्कुल अनुचित कदम उठाया है। आगे क्या करना है, इसे लेकर एसोसिएशन द्वारा रणनीति बनाई जा रही है। इसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। हम स्थानीय लोगों को नौकरी देने के खिलाफ नहीं हैं, मगर इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से दक्ष मानव संसाधन भी तो होने चाहिए।
पवन यादव, अध्यक्ष, आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, मानेसर इस प्रकार के आरक्षण की व्यवस्था से इंडस्ट्री को काफी नुकसान होगा। औद्योगिक निवेश की राह इससे काफी मुश्किल हो जाएगी। सरकार को चाहिए कि स्थानीय युवाओं के कौशल विकास को लेकर ठोस प्रबंधन करे, जिससे कि वह इंडस्ट्री में काम के योग्य बन सकें। इस प्रकार के आरक्षण से उद्योगों का संकट बढ़ेगा।
जेएन मंगला, अध्यक्ष, गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया निर्णय औद्योगिक हित में नहीं है। इससे किसी का भी भला नहीं होना है। इस आरक्षण से बेहतर होता कि सरकार स्थानीय युवाओं के कौशल विकास पर बल देती, जिससे अन्य राज्य भी इन्हें अपने यहां नौकरी देने के लिए बुलाते। इस प्रकार के फैसले उद्योगों को पतन की ओर ले जाएंगे।
दीपक मैनी, महासचिव, फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, हरियाणा प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र में भरपूर नौकरियां मिलें, उद्यमी इसके खिलाफ कभी नहीं रहे। वर्तमान समय में इंडस्ट्री को स्थानीय स्तर पर मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं है। यही कारण है कि दूसरे राज्यों के लोगों को यहां नौकरियां मिली हुईं हैं। इस प्रकार के आरक्षण से किसी का भला नहीं होना है। युवाओं का कौशल विकास जरूरी है।
प्रवीण यादव, अध्यक्ष, गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन