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कब मिलेगी गंदगी और प्रदूषण के रावण से मुक्ति

गौशाला मैदान के दशहरा ग्रांउड में इस बार रावण कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों के दहन के अलावा मेला भी लगा था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 06:33 AM (IST)
कब मिलेगी गंदगी और प्रदूषण के रावण से मुक्ति
कब मिलेगी गंदगी और प्रदूषण के रावण से मुक्ति

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: गौशाला मैदान के दशहरा ग्राउंड में इस बार रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। इस मौके पर ग्राउंड में मेला भी लगा था। दशहरा ग्राउंड मेले में आए लोगों से खचाखच भरा था मगर नगर निगम की अव्यवस्था सबको परेशान कर रही थी। बुराई के प्रतीक रावण को जलते देखने की चाहत रखने वाले लोग मैदान में पसरी गंदगी के राक्षस को कोस रहे थे।

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आम लोगों के मेला मैदान में प्रवेश की उचित व्यवस्था नहीं थी। एमजी रोड की ओर से एक गेट मुख्य अतिथियों के लिए रखा गया था जो कुछ साफ सुथरा था। दूसरा गेट एक दीवार तोड़कर बनाया गया था। इसके बाहर बहुत सारी गंदगी पड़ी थी। कचरे और पॉलीथिन के बीच होकर लोग मेले में प्रवेश कर रहे थे। गंदगी के बीच दुकानें भी सजी थीं।

ग्राउंड के पास फुटपाथ भी बदहाल है। रही सही कसर एक खुला नाला पूरा कर रहा था। सीवेज लाइन का एक बड़ा नाला मेला ग्राउंड के कोने में पूरी तरह खुला पड़ा था, जिसमें कभी भी हादसा हो सकता था। इसके पहले जब मेला नहीं लगा था तब भी रामलीला कमेटी से जुड़े लोगों ने खाली मैदान में जगह-जगह जमा गंदगी को लेकर आपत्ति जताई थी। कमेटी से जुड़े लोगों ने मेला मैदान की दुर्दशा का वीडियो जारी किया था। इस वीडियो में मेला ग्राउंड की गंदगी पर सवाल खड़े किए गए थे। भीड़ हटाने के लिए चलाए गए पटाखे

धार्मिक आस्था के पीछे तमाम वैज्ञानिक तर्क मात खा जाते हैं। प्रदूषण गुरुग्राम की एक बड़ी समस्या है मगर ग्रीन दशहरा का संकल्प अधूरा ही रह गया। मेला ग्राउंड में लोगों के जमा होने तक सारे पुतले खड़े नहीं किए जा सके थे। रावण का साइज बड़ा था और लोगों के आ जाने से क्रेन नहीं आ रही पा रही थी। बैरिकेडिग के भीतर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले खड़े किए गए थे। एक बड़ा समूह जिसमें काफी संख्या में महिलाएं थी, मंच के नीचे पुतलों की बैरिकेडिग के सामने बैठा था। ऐसे में भीड़ को हटाने के लिए व्यवस्थापकों ने पटाखे चलाए जिसके बाद लोग दूसरी तरफ चले गए। पुलिस की व्यवस्था वीआइपी के मंच के पास तो खूब थी मगर आम जनता तरफ बहुत ही कम थी।


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