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रैपिड मेट्रो बंद हुई तो सड़कों पर बढ़ जाएगा दबाव

साइबर सिटी की शान कही जाने वाली निजी क्षेत्र की रैपिड मेट्रो का संचालन अगर बंद होता है तो न केवल पॉश इलाकों में ट्रैफिक का दबाव फिर से बढ़ जाएगा बल्कि हालात 2013 (नवंबर 2013 में इसकी शुरुआत हुई थी) से भी बदतर हो जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 06:50 AM (IST)
रैपिड मेट्रो बंद हुई तो सड़कों पर बढ़ जाएगा दबाव
रैपिड मेट्रो बंद हुई तो सड़कों पर बढ़ जाएगा दबाव

आदित्य राज, गुरुग्राम

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साइबर सिटी की शान कही जाने वाली निजी क्षेत्र की रैपिड मेट्रो का संचालन अगर बंद होता है तो न केवल पॉश इलाकों में ट्रैफिक का दबाव फिर से बढ़ जाएगा, बल्कि हालात 2013 (नवंबर 2013 में इसकी शुरुआत हुई थी) से भी बदतर हो जाएंगे। छह साल में सड़कों पर वाहनों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। रैपिड मेट्रो का संचालन बंद होते ही फिर से लोग अपने निजी वाहनों का उपयोग करने के लिए मजबूर होंगे। इससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या सामने आएगी बल्कि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाएगा।

रैपिड मेट्रो का संचालन करने वाली कंपनी आइएल एंड एफएस इंफ्रास्ट्रक्चर ने हरियाणा सरकार से कहा कि आर्थिक नुकसान की वजह से वह आगे सेवा जारी करने में सक्षम नहीं है। कंपनी चाहती है कि हरियाणा सरकार रैपिड मेट्रो का अधिग्रहण कर कर ले। मामले को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा अधिकृत रिटायर्ड जस्टिस डीके जैन ने भी शुक्रवार को फैसला सुना दिया कि हरियाणा सरकार संचालन अपने हाथों में 9 सितंबर से ले। इस बात की पुष्टि कंपनी के प्रवक्ता शरद गोयल ने की है। इधर, हरियाणा सरकार अभी संचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है। इसे लेकर सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर रखी है। अर्जी पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर की रात तक स्टे लगा दिया है। इस बारे में कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि उच्च न्यायालय का मामला अलग है और ट्रिब्यूनल का मामला अलग। ट्रिब्यूनल के फैसले के मुताबिक 9 सितंबर से संचालन हरियाणा सरकार को अपने हाथों में लेना चाहिए।

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रैपिड मेट्रो लाइफ लाइन है। इसका संचालन एक दिन के लिए भी बंद नहीं होना चाहिए। संचालन बंद होने पर काफी लोगों को परेशानी होगी।

उज्जवल, यात्री दिल्ली मेट्रो से एंबियंस मॉल की तरफ जाने का बेहतर माध्यम रैपिड मेट्रो है। रैपिड मेट्रो का संचालन बंद होने पर इलाके में ट्रैफिक का दबाव बढ़ जाएगा।

श्याम, यात्री रैपिड मेट्रो का संचालन किसी भी हाल में प्रभावित नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ फिर पहले की तरह ही इलाके में वाहन रेंगते नजर आएंगे। इससे प्रदूषण भी बढ़ेगा।

आरती, यात्री रैपिड मेट्रो साइबर सिटी की शान है, पहचान है। इसका संचालन नहीं रुकना चाहिए। यदि कंपनी 9 सितंबर से संचालन रोकती है फिर काफी परेशानी होगी।

-विनोद कुमार, यात्री रैपिड मेट्रो एक नजर में

- पहले चरण में एक्सप्रेस-वे शंकर चौक से लेकर सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन तक 5.1 किलोमीटर का ट्रैक बनाया गया

- पहले चरण के निर्माण पर 1,450 करोड़ रुपये की लागत आई, इसे नवंबर 2013 में जनता के लिए खोला गया

- दूसरे चरण के तहत सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन से लेकर सेक्टर-56 तक 6.6 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण किया गया

- पूरे रूट पर यात्रियों की संख्या 45 से 50 हजार तक ही है जबकि अनुमान 70 से 80 हजार तक रखा गया था

- दूसरे चरण के निर्माण पर 2,143 करोड़ रुपये खर्च किए गए, ट्रैक पर परिचालन मार्च 2017 से शुरू किया गया

- साइबर सिटी के इलाके में प्रतिदिन औसतन दो लाख लोग विभिन्न कंपनियों में काम करने के लिए पहुंचते हैं। रैपिड मेट्रो का संचालन अपने हाथों में लेने का निर्णय हरियाणा सरकार ले चुकी है लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। समय की मांग को लेकर सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी डाल रखी है। इस पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए 9 सितंबर तक स्टे लगा दिया है। ऐसी स्थिति में 9 सितंबर को कंपनी हरियाणा सरकार को जिम्मेदारी नहीं सौंप सकती। मैं विश्वास दिलाता हूं कि एक दिन भी रैपिड मेट्रो सेवा बाधित नहीं होगी। जब तक सरकार अपने हाथों में संचालन नहीं लेती है तब तक कंपनी को ही चलाना होगा।

-वी. उमाशंकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण


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