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गुरुग्राम के पूरन ने उजड़ी केदारनगरी को बसाया

पांच साल पहले उत्तराखंड के बाबा केदारनाथ मंदिर के पास आई बाढ़ से उजड़ी केदारनगरी को फिर से बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका गुरुग्राम के एक व्यक्ति ने निभाई है। इस शख्स का नाम पूरन यादव लोहचब है जो शहर की तक्षशिला हाइट सोसायटी में रहते हैं। हरियाणा गौ सेवा आयोग के सदस्य पूरन और उनकी टीम ने लगभग 100 फाइबर हट्स बनाकर वहां की संबंधित अथॉरिटी को सौंप चुके हैं। दीपावली को केदारनाथ धाम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कार्य को पूर्ण करने के लिए पूरन व उनकी टीम की सराहना कर चुके हैं

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 06:00 PM (IST)
गुरुग्राम के पूरन ने उजड़ी केदारनगरी को बसाया
गुरुग्राम के पूरन ने उजड़ी केदारनगरी को बसाया

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: पांच साल पहले उत्तराखंड के बाबा केदारनाथ मंदिर के पास आई बाढ़ से उजड़ी केदारनगरी को फिर से बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका गुरुग्राम के एक व्यक्ति ने निभाई है। यह शख्स हैं पूरन यादव लोहचब है जो शहर की तक्षशिला हाइट सोसायटी में रहते हैं। हरियाणा गोसेवा आयोग के सदस्य पूरन और उनकी टीम ने लगभग 100 फाइबर हट्स बनाकर संबंधित अथॉरिटी को सौंप चुके हैं।

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दीपावली पर केदारनाथ धाम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्य को पूर्ण करने के लिए पूरन व उनकी टीम की सराहना कर चुके हैं। जून वर्ष 2013 में जल प्रलय के बाद बर्बाद हुई केदार नगरी को पुन: बसाने के लिए मंदिर कमिटी ने गुरुग्राम के सामाजिक कार्यकर्ता एवं गोसेवा आयोग के सदस्य पूरन लोहचब से आग्रह किया तो पूरन अपने संस्थान सागर फाइबर की टीम के साथ केदारनाथ पहुंचे।

परियोजना में करोड़ों रुपये की लागत को देखते हुए पूरन ने बिरला ग्रुप को सहयोगी के रूप में अपने साथ जोड़ा और केदारनगरी में एफआरपी हट्स निर्माण का कार्य मई 2015 में शुरू किया, जो अब पूरा किया जा चुका है। केदारनगरी में स्थापित सभी फाइबर हट्स गुरुग्राम से ही तैयार कर केदारनाथ पहुंचाई गई। इसके लिए 100 लोगों की टीम ने गुरुग्राम में रहकर सामान तैयार किया तो 200 लोगों की टीम ने लगातार डेढ़ साल तक केदारनाथ के पास बर्फीली पहाड़ियों पर इन्हें स्थापित किया। ऐसे काम हुआ

पूरन लोहचब के मुताबिक फाइबर से बना स्ट्रक्चर सबसे पहले गुरुग्राम के कादीपुर में तैयार होकर यहाँ से सोनप्रयाग तक पहुंचाया गया और बाद में 50 से 100 किलो वजनी स्ट्रक्चर 21 किलोमीटर दूर दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों पर स्थित केदारनगरी तक पैदल ही टीम ने पहुंचाया। ये काम आसान नहीं था, लेकिन भगवान केदारनाथ में करोड़ों लोगों की आस्था और बिरला ग्रुप से मिले सहयोग ने यह काम करने की हिम्मत दी।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी के जरिए सब देखा और पूरी टीम की सराहना की। प्रधानमंत्री से मिली तारीफ को पूरन इस बार उनका दीपावली का सबसे बड़ा तोहफा बताते हैं। इतना ही नहीं पूरन के कार्य को देखते हुए केदारनाथ मंदिर कमेटी ने भी सर्वोच्च पांच दानियों की सूची में पूरन लोहचब का नाम रख कर कार्य की सराहना की है। गो माता का एक बड़ी प्रतिमा बनाने की भी योजना

पूरन लोहचब ने बताया कि केदारनाथ मंदिर कमेटी के सीओ बीडी ¨सह ने उनसे केदारनगरी में गो माता का एक बड़ी प्रतिमा बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने फिलहाल असली देशी गाय मंदिर कमेटी को दे दी है, जिसके दूध से भगवान केदारनाथ का अभिषेक किया जाता है। हरियाणा गो सेवा आयोग के सदस्य का दायित्व निभा रहे पूरन ही इस गाय के पालन पर खर्च होने वाला सालाना लगभग पांच लाख रुपये की राशि का वहन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वहां का मौसम और परिस्थितियां अनुकूल रही तो भविष्य में गौ माता का एक बड़ी प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। जिसको गुरुग्राम में ही तैयार कर केदारनाथ लेकर जाया जाएगा।


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