पुलवामा हमला: पीओके में नहीं पीओके के बाहर कार्रवाई होनी चाहिए
इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चेयरमैन व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान का सुझाव है कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नहीं बल्कि इससे बाहर जहां आतंकी बैठे हैं, वहां पर कार्रवाई करनी होगी। पीओके में कुछ तंबू हैं। उनमें कुछ ट्रे¨नग लेने वाले आतंकी रहते होंगे। जब तक पीओके से बाहर कार्रवाई नहीं होगी तब तक पाकिस्तानी सेना के ऊपर दबाव नहीं बनेगा। कुटनीतिक
आदित्य राज, गुरुग्राम
इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चेयरमैन व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान का सुझाव है कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नहीं बल्कि इससे बाहर जहां आतंकी बैठे हैं, वहां पर कार्रवाई करनी होगी। पीओके में कुछ तंबू हैं। उनमें कुछ ट्रे¨नग लेने वाले आतंकी रहते होंगे। जब तक पीओके से बाहर कार्रवाई नहीं होगी तब तक पाकिस्तानी सेना के ऊपर दबाव नहीं बनेगा। कूटनीतिक स्तर पर भारत ने जो भी कदम उठाएं हैं, वे सख्त हैं। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने, इंपोर्ट डयूटी में बढ़ोत्तरी करने के निर्णय से पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर होगा। अब आतंक की काली सूची में नाम डलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
रविवार को दैनिक जागरण से बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान ने कहा कि पाकिस्तान को वहां की सेना व आतंकी संगठन चला रहे हैं। आतंकी संगठनों को सेना का समर्थन है। उनके पास जो हथियार हैं, वे हथियार सेना के द्वारा ही उपलब्ध कराए गए होंगे। पाकिस्तान को इस बात का दर्द है कि भारत कहां से कहां पहुंच गया। पूरी दुनिया में भारत एक ताकत बन चुका है। इस वजह से वह किसी न किसी बहाने भारत को परेशान करते रहना चाहता है।
राज कादयान ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सीधी लड़ाई पाकिस्तान लड़ नहीं सकता इसलिए आतंकियों का सहारा ले रहा है। आतंकी पीओके में नहीं बैठे हैं। पीओके केवल ट्रे¨नग सेंटर बनकर रह गया है। पाकिस्तान को छोड़कर आतंक के खिलाफ इस समय पूरी दुनिया भारत के साथ है। जहां पर भी आतंकी छिपे होने की खुफिया सूचना हो, उस जगह को निशाना बनाया जाए। आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारना ही होगा तभी वे दहशत में आएंगे। कश्मीरी ही कश्मीर को बचा सकते हैं
आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही कश्मीर में बेहतर माहौल बनाने के पर जोर देना होगा। सभी कश्मीरी आतंकियों के समर्थक नहीं हैं। कुछ ही लोग समर्थक होंगे। अधिकतर लोग डर से समर्थन करते होंगे। उनके भीतर से डर निकालना होगा। साथ ही जो भी लोग सही मायने में आतंकियों के समर्थक हैं, उनकी पहचान की जाए। पहचान करने के साथ ही उन्हें बंद किया जाए। सख्ती बरतनी ही होगी। खुशी की बात है कि इस बार सभी राजनीतिक दल राजनीति से ऊपर उठकर एक भाषा बोल रहे हैं। जब भी बात देश की सुरक्षा से जुड़ी हो फिर सभी की भाषा एक होनी चाहिए। दुनिया की कोई ताकत भारत को हिला नहीं सकती।