बिना प्ला¨नग के ही दे दी 6 हजार पेड़ काटने की अनुमति
आदित्य राज, गुरुग्राम पर्यावरण संरक्षण को लेकर लापरवाही चरम पर पहुंच चुकी है। शहर के मुख्य तीन चौर
आदित्य राज, गुरुग्राम
पर्यावरण संरक्षण को लेकर लापरवाही चरम पर पहुंच चुकी है। शहर के मुख्य तीन चौराहों के नजदीक लगभग छह हजार पेड़ों को काटने के बदले कहां पौधे लगाए जाएंगे, इस बारे में कोई प्ला¨नग नहीं की गई। न ही इस बारे में वन विभाग ने ध्यान दिया और न ही नगर निगम, हुडा, एनएचएआइ या फिर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने।
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे स्थित राजीव चौक, सिग्नेचर टावर चौक एवं इफको चौक पर अंडरपास एवं फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है। इसके लिए लगभग छह हजार पेड़ काटे जाएंगे। अधिकतर पेड़ काटे भी जा चुके हैं। इन पेड़ों के बदले कहां पौधे लगाए जाएंगे, इस विषय पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नियमानुसार एक पेड़ के बदले कम से कम दस पौधे लगाने का प्रावधान है। इस तरह छह हजार पेड़ों के बदले साठ हजार पौधे लगाने का प्रावधान है।
प्रत्यारोपण के ऊपर भी नहीं दिया ध्यान
काटे गए अधिकतर पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जा सकता था लेकिन इस विषय पर भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संगठन हरियाली के अध्यक्ष विवेक कंबोज कहते हैं कि मामले में सबसे अधिक लापरवाही वन विभाग ने बरती है। आखिर किस आधार पर पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी गई। विभाग को पहले निर्माण कंपनी से लिखित रूप से लेना चाहिए था। गुरुग्राम में लोगों का सांस लेना मुश्किल होने लगा है। इसके बाद भी लापरवाही बरती जा रही है। विकास आवश्यक है लेकिन पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा। जब शहर रहने लायक ही नहीं रहेगा फिर विकास करके क्या करेंगे।
कानून का सही से नहीं हो रहा पालन
पर्यावरण कार्यकर्ता केके यादव कहते हैं कि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम का जिले में सही से पालन नहीं हो रहा है। इसके लिए वन विभाग पूरी तरह जिम्मेदार है। अधिनियम के सेक्शन-चार में न केवल पेड़ों की कटाई से पहले अनुमति लेने का प्रावधान है बल्कि काटने के बदले पौधे कहां लगाए जाएंगे, इस बारे में भी पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। जब तक वन विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं होंगे, तब तक पर्यावरण के साथ खिलवाड़ चलता रहेगा। लापरवाही बरते जाने की वजह से गांव चौमा में एक कालोनाइजर ने लगभग एक हजार पेड़ों की कटाई बिना अनुमति के ही कर दी। मामले में सीधे एफआइआर करानी चाहिए।
पेड़ों को काटने के बदले पौधे लगाने का प्रावधान है। इस विषय पर ध्यान दिया जा रहा है। निर्माण कंपनी से लेकर संबंधित विभागों (जिनकी जमीन पर निर्माण चल रहा है) से भी बातचीत चल रही है। पेड़ों को काटने की इजाजत देने से पहले देखा जाता है कि कितना आवश्यक है। विभाग हरसंभव प्रयास करता है कि कम से कम पेड़ों की कटाई हो।
- एमडी सिन्हा, वन संरक्षक, गुरुग्राम