जनहित जागरण: जल संरक्षण: अरावली के बरसाती पानी से गांव की धरा को कर रहे हरा-भरा
अरावली की पहाड़ी गुरुग्राम सहित कई शहरों के लिए जीवनदायनी है। मगर कुछ लोगों ने इसे उजाड़ने का ही काम किया। नतीजा यह निकला कि बरासत का पानी जो अरावली में बने पोखरों में जमा होकर भूजल स्तर को बढ़ाता था वह बेकार चला जाता है। मगर खेड़ला गांव के चंदन ¨सह व सत्येंद्र राघव, मुकेश ,कैलाश, योगेश तथा राजेश ने युवा विकास संगठन बना कई और युवाओं को जोड़ दस साल पहले जल संरक्षण के लिए काम शुरू किया। चंदन व सत्येंद्र एमबीए करने के बाद नौकरी कर रहे हैं इसके बाद भी समय निकाल गांव ही नहीं क्षेत्र के लोगों को जल संरक्षण करने के लिए प्रेरित
सतीश राघव, सोहना
अरावली की पहाड़ी गुरुग्राम सहित कई शहरों के लिए जीवनदायनी है मगर कुछ लोगों ने इसे उजाड़ने का ही काम किया। नतीजा यह निकला कि बरसात का पानी जो अरावली में बने पोखरों में जमा होकर भूजल स्तर को बढ़ाता था, वह बेकार चला जाता है। मगर खेड़ला गांव के चंदन ¨सह व सत्येंद्र राघव, मुकेश, कैलाश, योगेश तथा राजेश ने युवा विकास संगठन बना कई और युवाओं को जोड़ दस साल पहले जल संरक्षण के लिए काम शुरू किया।
चंदन व सत्येंद्र एमबीए करने के बाद नौकरी कर रहे हैं इसके बाद भी समय निकालकर गांव ही नहीं क्षेत्र के लोगों को जल संरक्षण करने के लिए प्रेरित करते हैं। इस सभी ने गांव से जुड़ी अरावली पहाड़ी पर पानी जमा करने के लिए छोटे-छोटे तालाब बनवाए। खुद खोदाई करने के साथ-साथ श्रमिकों की मदद ली। इन युवाओं ने एक दर्जन से अधिक तालाब बनाए हैं जहां पर बरसात का पानी जमा होता है। इसी पानी को पौधरोपण के बाद ¨सचाई में प्रयोग किया जाता है।
गांव के जानवर से लेकर जंगली जानवर तक पानी पीते हैं। इसी पानी के सहारे पहाड़ी क्षेत्र के साथ गांव को भी पौधे लगा हरा-भरा किया जा रहा है। जहां केवल घास या विलायती बबूल होते थे वहां छायादार पेड़ दिखने लगे हैं। सभी युवा यह भी ध्यान रखते हैं कि पेयजल लाइन में कहीं रिसाव तो नहीं जानकारी होते उसे भी सही कराते हैं। इस सामूहिक प्रयास से गांव का भूजल स्तर जो तेजी से गिर रहा था व स्थिर हो गया है।