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विकास थम जाने के डर से कर रहे हैं नगर निगम में जाने का विरोध

वृद्धि के लिए की गई कार्रवाई का निगम दायरे से बाहर के गांवों के सरपंचों ने विरोध किया है। सरपंचों का कहना है कि जिन गांवों को पंचायत से निगम में शामिल किया गया है उनमें विकास बढ़ने की बजाए कम हुआ है। निगम के अंर्तगत आने वाले लगभग गांवों के लोग भी इससे परेशान हैं कि उनके गांव में विकास कार्य ही नहीं हो रहे हैं। सरपंच एसोसिएशन के बैनर

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 05:23 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 05:23 PM (IST)
विकास थम जाने के डर से कर रहे हैं नगर निगम में जाने का विरोध
विकास थम जाने के डर से कर रहे हैं नगर निगम में जाने का विरोध

जागरण संवाददाता, मानेसर: नगर निगम का दायरा बढ़ाए जाने के लिए की शुरू की गई कार्यवाही का निगम दायरे से बाहर के गांवों के सरपंचों ने विरोध किया है। सरपंचों का कहना हैं कि पूर्व में जिन गांवों को पंचायत से निगम में शामिल किया गया है, उनमें विकास बढ़ने के बजाय कम हुआ है। निगम के अंर्तगत आने वाले लगभग सभी गांवों के लोग भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनके गांव में विकास कार्य ही नहीं हो रहे हैं। सरपंच एसोसिएशन के बैनर तले गुरुग्राम की 24 पंचायतों ने प्रस्ताव पास किया कि किसी भी सूरत में गांवों को निगम में शामिल करने को मंजूरी नहीं दी जाएगी। इस बारे में सरपंच एसोसिएशन ने निगम के अधिकारियों को भी जानकारी दे दी है।

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सरपंच एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी व धनकोट गांव के सरपंच दिनेश सहरावत ने कहा कि पिछले प्लान में जिन गांवों को निगम में शामिल किया गया था। उनमें किसी प्रकार के विकास कार्य नहीं कराए गए हैं। उन गांवों में रहने वाले लोग निगम के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। बादशाहपुर, कन्हई, नाथूपुर सहित कई गांव का हाल नगर निगम में जाने के बाद और खराब हो गया।

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सरपंचों का कहना है कि पंचायत के पास अपना बजट होता है। कोई भी पंचायत अपने अनुसार खर्च कर सकती है। एक सरपंच के पास सीमित क्षेत्र होता है वह उसमें आसानी से बिना भेदभाव के विकास करा सकता है। पंचायत के लिए कई प्रकार की योजनाएं भी सरकार की तरफ से शुरू की जाती हैं। पंचायत में कोई भी व्यक्ति आसानी से सरपंच से मिल सकता है। वहीं निगम में वार्ड बन जाता है। ऐसे में जो पार्षद बनता है वह अपने क्षेत्र में कार्य करने पर जोर देता है। सरपंचों का कहना है कि पंचायत के अधीन जिले में कोई भी गांव ऐसा नहीं जहां कच्ची गलियां हों निगम के अंतर्गत आने वाले गांवों में कई गलियां कच्ची रहती हैं। पार्षद का अपना बजट भी नहीं होता वह अधिकारियों से ही मिलकर काम कराता है।

नगर निगम के अंतर्गत आने वाले और पंचायत के अधीन आने वाले गांवों में अगर सर्वे किया जाए तो दिन रात का अंतर है। पंचायत में लोगों को अधिक सुविधाएं मिल रही हैं। सरपंच एसोसिएशन की बैठक में इस बात का विरोध किया जा चुका है। कोई भी पंचायत सहमति पत्र नहीं देगी। ब्लॉक की 24 पंचायतों ने इस पर सहमति बनाई है।

-सुंदरलाल यादव, अध्यक्ष, सरपंच एसोसिएशन, गुरुग्राम


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