ओपन माइक के जरिये शहर की नई प्रतिभाओं को मिल रहा मंच
'मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है।' किसी शायर की इसी पंक्तियों का अनुसरण कर नगर निगम अब शहर की नई प्रतिभाओं को हौसला देकर उनके लिए रचनात्मकता का नव आकाश बनाने में जुटा है। सेक्टर-29 स्थित रंगभूमि ओपन एयर थिएटर में साप्ताहिक सांस्कृतिक संध्या के द्वारा एक ओर जहां नागरिकों को स्वस्थ मनोरंजन नि:शुल्क मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर छिपी हुई प्रतिभाओं के लिए 'आपका मंच आपके लिए' नाम से ओपन माइक सत्र जोड़कर प्रतिभा को मंच दे रहा है।
हंस राज, नया गुरुग्राम
'मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है।' किसी शायर की इसी पंक्तियों का अनुसरण कर नगर निगम अब शहर की नई प्रतिभाओं को हौसला देकर उनके लिए रचनात्मकता का नव आकाश बनाने में जुटा है। सेक्टर-29 स्थित रंगभूमि ओपन एयर थिएटर में साप्ताहिक सांस्कृतिक संध्या के द्वारा एक ओर जहां नागरिकों को स्वस्थ मनोरंजन नि:शुल्क मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर छिपी हुई प्रतिभाओं के लिए 'आपका मंच आपके लिए' नाम से ओपन माइक सत्र जोड़कर प्रतिभा को मंच दे रहा है।
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ओपन माइक में बिखर रहे प्रतिभा के कई रंग
'आपका मंच आपके लिए' कार्यक्रम में वैसे तो हर आयु वर्ग के लोग हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन बड़ी तादाद बच्चों और युवाओं की रहती है जो सोशल मीडिया के अलावा एक समृद्ध मंच पर प्रस्तुति देने पहुंच रहे हैं। गायन, नृत्य, संगीत, शास्त्रीय नृत्य, हास्य प्रस्तुति सहित काव्यपाठ और शेर-ओ-शायरी सरीखे सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिये नवोदित कलाकार अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। यही नहीं, दर्शकों को हर कार्यक्रम में दो से तीन पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति भी देखने को मिल रही है। सत्र का नन्हे कलाकारों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि जिस मंच पर कई नामचीन कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं उन्हें उसी मंच पर प्रस्तुति देने का अवसर मिल रहा है।
- समय सीमा और भाषा की मर्यादा है पैमाना: इसी साल अक्टूबर में शुरू किए ओपन माइक के अब तक पांच सत्र हुए हैं, जिसमें करीब 50 प्रतिभाओं को मौका मिला है। नगर निगम के प्रवक्ता एसएस रोहिल्ला के मुताबिक ओपन माइक में हर आयु वर्ग के लोग अपनी प्रस्तुति के लिए नामांकन करवाते हैं। यह सत्र प्रत्येक शनिवार को मुख्य कार्यक्रम से पहले आयोजित होता है जिसकी अवधि एक घंटे की रखी गई है। शाम 7 बजे से 8 बजे के बीच लोग मुक्त मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हैं। चयन को लेकर भी उन्होंने बताया कि प्रस्तुति की शैली और विधा के साथ-साथ उम्र की भी कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन कलाकार को समय सीमा और भाषा की मर्यादा का ध्यान रखना आवश्यक होता है। शहर में कला एवं संस्कृति से जुड़ी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन कई बार उन्हें मंच नहीं मिल पाता। इसी को ध्यान में रखकर ओपन माइक की शुरुआत की गई है। मनोरंजन के साथ-साथ कला और संस्कृति का प्रचार-प्रसार तथा कलाकारों को बेहतरीन मंच उपलब्ध करवाने की दिशा में निगम प्रयासरत है।
- यशपाल यादव, आयुक्त, नगर निगम