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निपाह के खौफ से फलों के कारोबार में मंदी

इन दिनों दक्षिण भारत और हिमाचल में निपाह वायरस लोगों के लिए आतंक बना हुआ है। इसे लेकर साइबर सिटी के लोगों में भी खौफ है। यही कारण है कि लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं। यहां दक्षिण भारत और हिमाचल से आने वाले फलों की खरीद से बच रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 May 2018 07:04 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 07:04 PM (IST)
निपाह के खौफ से फलों के कारोबार में मंदी
निपाह के खौफ से फलों के कारोबार में मंदी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: इन दिनों दक्षिण भारत के केरल में फैला निपाह वायरस से साइबर सिटी के लोग भी डरे हुए हैं। इसके चलते लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं। यहां दक्षिण भारत से आने वाले फलों की खरीद से बच रहे हैं। जब वह बाजार में फल खरीदने पहुंच रहे हैं वह दुकानदार से यह बात जरूर पूछ रहे हैं कि यह कहां से आता है। जब उन्हें जानकारी मिलती है कि यह फल दक्षिण भारत या हिमाचल से आया है तो वह इसे नहीं खरीद रहे हैं। इससे फलों के कारोबार में कुछ दिनों से मंदी दिखाई दे रही है। इसे लेकर प्रदेश सरकार भी एडवाइजरी जारी कर चुकी है।

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सेक्टर-15 में फल विक्रेता रमेश कहना है कि इस समय आम दक्षिण भारत से काफी आ रहा है। पिछली बार की तुलना में आम की बिक्री काफी कम हो रही है। इसका कारण निपाह वाइरस है। इसी प्रकार से ओल्ड रेलवे रोड के फल विक्रेता रशीद अहमद का कहना है कि केरल से आने वाला खजूर पहले खूब बिकता था, लेकिन जबसे निपाह का खतरा बढ़ा है लोग इसे भी नहीं खरीद रहे हैं। उनका कहना है कि खजूर की खरीद में 50 फीसद से अधिक कि गिरावट आई है। रमजान के माह में खजूर की बिक्री सबसे अधिक होती है। लेकिन इस बार लोग खरीदने से परहेज कर रहे हैं।

हिमाचल में भी मरे चमगादड़ पाए जाने की खबर से यहां से आने वाले सेब की भी मांग काफी कम हुई है। फल विक्रेताओं का कहना है कि हिमाचल के स्थान पर कश्मीर वाले सेब की मांग की जा रही है। डीएलएफ जैसे वीआइपी इलाके में भी लोग फल विक्रेताओं से इसी प्रकार की पूछताछ कर रहे हैं। कर्नाटक से आने वाले केले, केरल से आने वाले अनन्नास, आंध्र प्रदेश के आम, आंध्र प्रदेश की मौसमी व पपीता की मांग काफी कम हो गई है। निपाह वाइरस को लेकर यहां किसी प्रकार का डर नहीं है फिर भी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी प्रकार से जमीन पर गिरे व कटे-फटे फलों को खाने से बचना चाहिए। अब तक इसकी कोई वैक्सीन या दवा नहीं है ऐसे में जागरूकता का होना सबसे जरूरी है।

- डॉ. नवीन कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन नागरिक अस्पताल


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