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आत्मविश्वास की स्याही से सुरक्षा की पटकथा लिखने की ‘कला’

बदलाव की बयार में वह मिथक टूटे हैं कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए पुरुषों का सहारा लेने की आवश्यकता होती है। महिलाएं केवल अपनी ही नहीं औरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं। मां दुर्गा की शक्ति के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का उदाहरण महिलाएं बनी हैं।

By Priyanka Dubey MehtaEdited By: Versha SinghPublished: Wed, 28 Sep 2022 12:23 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 12:23 PM (IST)
आत्मविश्वास की स्याही से सुरक्षा की पटकथा लिखने की ‘कला’
आत्मविश्वास की स्याही से सुरक्षा की पटकथा लिखने की ‘कला’

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम: बदलाव की बयार में वह मिथक टूटे हैं कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए पुरुषों का सहारा लेने की आवश्यकता होती है। महिलाएं केवल अपनी ही नहीं औरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं। मां दुर्गा की शक्ति के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का उदाहरण बनी महिलाएं अपने रौद्र रूप से दुष्टों का संहार करती हैं तो अपने सौम्य स्वरूप और सामर्थ्य से लोगों की रक्षा भी करती हैं।

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इसी स्वरूप का एक उदाहरण हैं जिले की पुलिस कमिश्नर कला रामचंद्रन, जिनके नेतृत्व में जिले में न केवल अपराध की दर नियंत्रित हुई है बल्कि क्राइम का ट्रेस आउट प्रतिशत 21 से होकर लगभग 31 प्रतिशत हो गया है। कला रामचंद्रन बदलाव की इबारत से एक अपराध मुक्त और सुरक्षित समाज की पटकथा लिख पा रही हैं तो वे इसका श्रेय अपनी टीम को देती हैं।

खतरों का सामना करना आ जाता है

अपनी सुरक्षा को लेकर वे बताती हैं कि पुलिस में रहते हुए खतरों का सामना करने की आदत हो जाती है। इसके अलावा उतनी सुरक्षा भी मिल जाती है। पुलिस अधिकारी होने के नाते निजी जिंदगी में चुनौतियां आती हैं। वे भी अधिकांश समय अकेले रही हैं। परिवार को भी समझौते करने पड़े हैं। उनका मानना है कि यह पुरुष अधिकारियों के साथ भी होता है। धीरे-धीरे सामंजस्य बैठाना सीख लेते हैं, क्वालिटी टाइम देना सीख लेते हैं और फिर कोई गिला नहीं रह जाता।

मजबूत टीम का सहयोग

सुशासन के लिए एक बेहतर टीम की आवश्यकता होती है। ऐसे में कला का कहना है कि डीसीपी (क्राइम), डीसीपी ट्रैफिक, डीसीपी (हेडक्वार्ट्स) और सारी पुलिस टीम उनके नेतृत्व को मजबूत बनाती है। उन्होंने ट्रैफिक को प्राथमिकता बनाई। उनका मानना है कि ट्रैफिक से हर वर्ग प्रभावित होता है। ऐसे में उनके नेतृत्व में टीम इसके लिए कार्य कर रही है और इस व्यवस्था को सही किए जाने के प्रयास युद्ध स्तर पर हो रहे हैं। जिले में अपराध के अबतक के आंकड़ों के मुताबिक गुरुग्राम की तस्वीर बदलती दिखाई दे रही है। क्राइम का ट्रेस आउट प्रतिशत 21 से बढ़कर 31 प्रतिशत हो जाना राहत की बात है। अपराधों में बढ़ोतरी दर 2.5 प्रतिशत तक रह गई है। अब बढ़ते घरेलू अत्याचार पर लगाम लगाए जाने की तैयारी है।

महिलाओं का तनाव घटाने का काम

विभाग में महिलाओं की मेंटल हेल्थ को लेकर उन्होंने काम करना शुरू किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 50 महिला पुलिस कर्मियों का चयन कर उनकी समस्याएं और उनके तनाव के स्तर को समझा जा रहा है। इसके बाद अन्य महिला पुलिस कर्मियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। इसके अलावा महिला पुलिस टीम गांव, स्कूलों और फैक्ट्रियों में जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी दे रही है।

प्रदेश देता है समान अधिकार और सम्मान

कला रामचंद्रन का कहना है कि हरियाणा के बारे में जब इस तरह की बातें आती हैं कि महिलाओं को मंच नहीं दिया जाता, महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है तो उन्हें दुख होता है क्योंकि उन्होंने प्रदेश में रहते हुए कभी यह मससूस नहीं किया कि कहीं किसी भी महिला अधिकारी के साथ भेदभाव हुआ हो।

खुदी को कर बुलंद इतना

पुलिस आयुक्त महिलाओं को यह संदेश देती हैं कि अपनी लड़ाई स्वयं लड़ें, दूसरों पर निर्भर न रहें। अपनी बात रखने की झमता विकसित करें। अपने आप को मजबूत बनाएं और वह तभी कर सकती हैं जब अपने आप को सशक्त बना लें। कहती हैं, ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे कि बता तेरी रजा क्या है।’


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