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रिश्वत कांड: न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल पहुंचा इंस्पेक्टर विशाल, रिमांड खत्म होने पर कोर्ट में हुई पेशी

रिश्वत कांड के आरोपित निलंबित इंस्पेक्टर विशाल को अदालत में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल भेज दिया गया। उसे पूछताछ के लिए फरीदाबाद विजिलेंस की टीम ने दोबारा तीन दिन की रिमांड पर लिया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 02:11 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 03:22 PM (IST)
रिश्वत कांड: न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल पहुंचा इंस्पेक्टर विशाल, रिमांड खत्म होने पर कोर्ट में हुई पेशी
इंस्पेक्टर पर दिल्ली के एक काल सेंटर संचालक से 57 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप है।

गुरुग्राम (आदित्य राज)। दिल्ली के काल सेंटर संचालक नवीन भूटानी से रिश्वत लेने के आरोपित निलंबित इंस्पेक्टर विशाल को रविवार दोपहर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल भेज दिया गया। उसने 11 जनवरी को आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद तीन-तीन दिन की रिमांड पर दो बार फरीदाबाद विजिलेंस की टीम ने उसे लिया लेकिन उसने मुंह नहीं खोला। इस तरह रिश्वत के 57 लाख रुपये कहां गए, यह राज फिलहाल सामने नहीं आ पाया है।

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दो बार रिमांड लेने के बाद भी मुंह नहीं खोलने पर ऐसा लग रहा था कि टीम तीसरी बार रिमांड मांगेगी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस वजह से अदालत में पेश करने के कुछ ही देर बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

पिछले महीने रिश्वत कांड 28 दिसंबर की रात फरीदाबाद विजिलेंस की टीम द्वारा खेड़कीदौला थाने में तैनात रहे हेड कांस्टेबल अमित को पांच लाख रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार करने के साथ सामने आया था। उसने स्वीकार किया था कि थाने के प्रभारी रहे इंस्पेक्टर विशाल के कहने पर पैसे लेने पहुंचा था। जब आगे मामले की छानबीन की गई तो पता चला कि कुछ दिनों पहले काल सेंटर संचालक को बंधक बनाकर 57 लाख रुपये लिए गए थे। बाद में लैपटाप लौटाने के नाम पर 10 लाख रुपये की मांग की गई थी। परेशान होकर संचालक ने विजिलेंस में शिकायत की थी।

इससे साफ है कि यदि लैपटाप लौटाने के नाम पर 10 लाख रुपये की मांग नहीं की जाती तो मामला सामने ही नहीं आता। हालांकि रिमांड के दौरान इंस्पेक्टर विशाल द्वारा मुंह न खोलने से भी मामले पर पूरी तरह पर्दा नहीं उठ पाया है। बताया जाता है कि 57 लाख में से 50 लाख ऊपर पहुंचाए गए थे। किसके पास पहुंचाए गए थे, यह जानकारी इंस्पेक्टर से ही हासिल होनी थी।

इंस्पेक्टर विशाल के अधिवक्ता व जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एसएस चौहान एवं अधिवक्ता मंदीप सेहरा का कहना है कि टीम ने छह दिन तक पू्छताछ की लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। इधर, पूरे पुलिस महकमे की नजर अदालत के ऊपर टिकी रही। सभी को लग रहा था कि टीम फिर रिमांड पर लेगी लेकिन टीम ने ही रिमांड नहीं मांगा। इसे लेकर भी तरह-तरह की चर्चा चलनी शुरू हो गई है। एक चर्चा यह है कि आखिर कुख्यात बदमाशों से सबकुछ उगलवा लेने वाली पुलिस इंस्पेक्टर से क्यों नहीं कुछ उगलवा पाई।

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