गर्व है इस मां पर, बेटे को सेना में भेज शहीद पति की इच्छा की थी पूरी
पति के अंतिम दर्शन करते समय राजबाला ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह अपने बेटे को गोविंद को भी इस लायक बनाएंगी की वह मां भारती की रक्षा कर सके।
गुरुग्राम/फरुखनगर (मोनू यादव)। देशसेवा से बढ़कर कोई कर्म नहीं होता, इसे साकार कर दिखाया है शहीद सूबेदार डालचंद प्रजापति की पत्नी राजबाला ने। पति ने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। इससे पहले वह अपने बेटे को सेना में भर्ती कराने की सोच चुके थे, इसे उन्होंने अपनी पत्नी से साझा किया था।
पति की इच्छा को पूरी करने के लिए वीरांगना ने साहस से काम लिया। उन्होंने बेटे गोविंद को इस काबिल बनाया कि वह सेना में भर्ती होकर देश के दुश्मनों से मुकाबला कर सके जबकि परिवार के ही कुछ लोग नहीं चाहते थे कि गोविंद सेना में जाए।
गुरुग्राम जिले के गांव ख्वासपुर निवासी सूबेदार डालचंद वर्ष 1983 को सेना में भर्ती हुए थे। मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित सेना के प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लिया। उन्हें बीनागुड़ी असम में छापामार युद्ध का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। यहां के बाद डालचंद ने देश के कई अति संवेदनशील क्षेत्रों में ड्यूटी की। उन्हें कुशलता व अदम्य साहस के बल पर प्रोन्नति भी मिलती गई।
वे सूबेदार बन गए। उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए उन्हें सेना ने जून 2008 में कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में माहर रेजिमेंट की एक टुकड़ी के साथ लगाया। आतंकी घटनाओं को देखते हुए सेना की ओर से यहां पर एक विशेष आॅपरेशन चलाया जा रहा था। चार महीने में डालचंद की टुकड़ी ने कई आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करते हुए बीस से अधिक आतंकी पकड़े।
आमने-सामने की मुठभेड़ में 15 से अधिक आंतकी मारे भी गए थे। मई 2009 में डालचंद एक महीने के लिए अवकाश पर घर आए और छुट्टी खत्म होने के बाद फिर मोर्चे पर जम गए थे। 8 अगस्त 2009 को वे अपनी टुकड़ी के साथ आपरेशन सर्च में लगे हुए थे तभी आंतकियों से मुठभेड़ हुई। दोनों ओर से गोलियां चलीं। एक गोली डालचंद के पेट में लगी इसके बाद भी मां भारती के लाल ने दो आतंकियों को अपनी रायफल से मार गिराया। अन्य को साथियों ने मार डाला था।
मुठभेड़ खत्म होने के बाद सेना के जवान लहूलुहान डालचंद को लेकर बेस कैंप की ओर चले मगर रास्ते में ही डालचंद ने ‘जयहिंद, जय जवान’ कहते हुए अंतिम सांस ले ली। पति के शहीद होने की खबर राजबाला को हुई तो बगैर विचलित हुए उन्होंने बच्चों तथा पूरे परिवार को संभाला।
पति के अंतिम दर्शन करते समय राजबाला ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह अपने बेटे को गोविंद को भी इस लायक बनाएंगी की वह मां भारती की रक्षा कर सके। हालांकि परिवार के कुछ लोगों ने अलग सलाह दी, पर राजबाला ने सभी का यह कहकर मुंह बंद करा दिया कि उनके पति की यही इच्छा थी की बेटा फौज में जाए। क्योंकि वे देश सेवा को भी सबसे बड़ा कर्म मानते थे।
वीरांगना की मन की बात सुन विरोध करने वालों के मुंह बंद हो गए। फिर परिवार ने गोविंद को सेना में भर्ती कराने में सहयोग किया। मां से मिली प्रेरणा के बल पर र्गोंवद 3 दिसंबर 2011 को बतौर सिपाही सेना में भर्ती हुए। इस समय उनकी र्पोंस्टग कश्मीर में है।
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