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International Tea Day: चाय पीना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन औषधि, जानिए अन्‍य बातें

महामारी को देखते हुए लोग चाय को ही काढ़े के तौर पर प्रयुक्त कर रहे हैं। चाय की पत्तियों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल्स शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 11:16 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 11:16 PM (IST)
International Tea Day: चाय पीना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन औषधि, जानिए अन्‍य बातें
International Tea Day: चाय पीना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन औषधि, जानिए अन्‍य बातें

गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। एक चाय की चुस्की। कितना कुछ बदल देती है। छोटी सी पहली मुलाकात हो या फिर बड़े-बड़े व्यवसायिक फैसले, चाय पर बैठक बात बना देती है। इसी लिए तो चाय ने कुल्हड़ से लेकर हाइ-टी तक में बड़े ही शान से शिरकत की है। स्वाद वही लेकिन अंदाज अलग-अलग। चाय के मौलिक स्वरूप के साथ उसकी खुशबू और तासीर में बदलाव पर बहुत काम किए गए। इन बदलावों ने चाय की उपयोगिता को व्यापक कैनवस दिया है। चाय केवल केवल एक पेय न रहकर सौंदर्य प्रसाधन, तनावमुक्ति की औषधि और जड़ी बूटी तक के तौर पर उपयोग में लाई जा रही है। अब इसी महामारी को ही ले लीजिए। चाय ने यहां भी अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। लोग चाय को काढ़े के रूप में पी रहे हैं और कोरोना को मात देने के लिए चाय के अलग-अलग रूपों का सेवन कर रहे हैं।

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बतौर औषधि बढ़ा उपयोग

इनदिनों की महामारी को देखते हुए लोग चाय को ही काढ़े के तौर पर प्रयुक्त कर रहे हैं। चाय की पत्तियों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल्स शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करता है। इसमें अदरक भी हो, तो यह बेहतरीन स्वाद देने के साथ वायरल बीमारियों से भी बचाती है। लेमन-टी के रूप में चाय का सेवन शरीर से विषैले पदार्थों को हटाता है, नींबू में पाए जाने वाला विटामिन-सी इम्यूनिटी बढ़ाता है। कोरोना से लडऩे के लिए चाय में मुलेठी, अदरक, तुलसी, अश्वगंधा, यहां तक कि गिलॉय व अजवाइन डालकर चाय बनाई जा रही है।

पियक्कड़ों तक खुद पहुंची चाय

इतिहास में एक ऐसी घटना का जिक्र है, जो बताती है कि चाय की खोज अचानक हो गई थी। एंटी कोरोना रामबाण, एंटी कोविड सूर्यास्त्र और ब्रह्मास्त्र नाम से चाय बनाने वाले नोएडा स्थित एनआरआइ चाय वाला आउटलेट के प्रमुख जगदीश के मुताबिक करीब पांच हजार साल पहले चीन में बादशाह सम्राट शेन नुग्न उद्यान में बैठकर रोजाना खाली पेट गर्म पानी पीते थे। एक दिन वे साथियों के साथ चर्चा में व्यस्त थे कि तभी गर्म पानी में कुछ पत्तियां गिर गईं जिससे पानी का रंग बदल गया और उसमें खुशबू आने लगी। बादशाह ने वह पानी पिया और वह उनका पसंदीदा पेय बन गया। लोगों को सख्त हिदायत थी इस रेसिपी को किसी से सांझा न करें। यही कारण रहा कि सालों तक दुनिया के बाकी हिस्सों में चाय की खोज की भनक तक नहीं लगी। पूरी तरह से प्राकृतिक थी, इसलिए बौद्ध भिक्षुओं ने भी इसका सेवन शुरू कर दिया। उन्हीं के द्वारा असम तक चाय के गुणों की बात पहुंची और उन्होंने इसे रोजमर्रा के जीवन में शामिल कर लिया।

शोधों में मिले चाय के लाभकारी गुणों के प्रमाण

एक शोध रिपोर्ट बताती है कि चाय न पीने वालों के मुकाबले चाय पीने वालों का दिमाग ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की हालिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि चाय पीना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन औषधि है। साथ ही बढ़ती उम्र के साथ दिमाग के ताने-बाने में आने वाली कमी को भी रोकता है। गुड़ की चाय की एक प्याली मिजाज तो सुधारती ही है, साथ ही दिल की बीमारियों से भी बचाती है।


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