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Judge wife and son murder Case: पढ़िए- कैसे इंदिरा की हत्या के मामले का फैसला बना नजीर

जैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर उनके सुरक्षाकर्मियों ने भरोसे का कत्ल किया गया था वैसे ही महिपाल ने भी किया। गनमैन से अधिक भरोसेमंद कोई नहीं होता।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 08:27 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 08:27 AM (IST)
Judge wife and son murder Case: पढ़िए- कैसे इंदिरा की हत्या के मामले का फैसला बना नजीर
Judge wife and son murder Case: पढ़िए- कैसे इंदिरा की हत्या के मामले का फैसला बना नजीर

गुरुग्राम [आदित्य राज]। न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी व बेटे की हत्या के दोषी महिपाल को सजा-ए-मौत की सजा सुनाने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का फैसला भी नजीर बना। अभियोजन की ओर से सजा-ए-मौत की सजा सुनाने को लेकर कई मामले अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत में रखे गए। इंदिरा गांधी की हत्या भी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने की थी। महिपाल भी न्यायाधीश कृष्णकांत का गनमैन था।

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सजा सुनाए जाने के बाद ‘दैनिक जागरण’ से खास बातचीत में मामले में सरकारी अधिवक्ता जिला उप न्यायवादी अनुराग हुड्डा ने कहा कि जैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर उनके सुरक्षाकर्मियों ने भरोसे का कत्ल किया गया था, वैसे ही महिपाल ने भी किया। गनमैन से अधिक भरोसेमंद कोई नहीं होता। इस कांड से पूरा देश दहल उठा था। मामले में फांसी की सजा से कम नहीं बनती थी। अदालत ने फैसला सुनाकर देश व दुनिया के सामने नजीर पेश की है।

90 फीसद खुद ही अपराध स्वीकार कर लिया था

बहस पूरी होने के बाद जब महिपाल का बयान लिखा गया, तो उसने 90 फीसद खुद ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया था। उसने माना कि वह कार से न्यायाधीश की पत्नी व बेटे को लेकर आर्केडिया कॉम्प्लेक्स पहुंचा था। कॉम्पलेक्स से दोनों के बाहर निकलने के बाद जब वह कार में पेंटिंग रख रहे थे, तो उसमें खरोंच लग गई थी। तभी उसकी न्यायाधीश के बेटे से गुत्थ-गुत्था हुई थी। तभी अचानक गोली चल गई।

अचानक गोली चलने की बात नहीं हो सकी साबित

महिपाल ने अचानक गोली चलने की बात तो कह दी, लेकिन इसे साबित नहीं किया जा सका, क्योंकि रिवाल्वर से अचानक गोली नहीं चलती। यही नहीं, वह स्वैट की ट्रेनिंग भी ले चुका था। मतलब यह है कि वह पूरी तरह प्रशिक्षित कमांडो था। खास यह कि अचानक एक बार गोली चल सकती है, पांच बार नहीं। दो गोली न्यायाधीश के बेटे ध्रुव और दो गोली उनकी पत्नी रितु को लगी थी।

पुलिस ने निभाई बेहतर भूमिका

मामले का ट्रायल जल्द पूरा कराने में गुरुग्राम पुलिस ने भी विशेष भूमिका निभाई। कम से कम समय में बेहतर तरीके से जांच पूरी की गई। इतने साक्ष्य रखे गए कि आरोपित के किसी भी स्तर पर बचने की गुंजाइश नहीं थी। आम लोगों ने भी बेहतर भूमिका निभाई। कई लोगों ने अपनी गवाही दी।

पूरा घटनाक्रम एक नजर में

  •  13 अक्टूबर 2018 को दोपहर साढ़े तीन बजे गनमैन ने जज की पत्नी, बेटे पर गोली चलाई थी
  • 13 अक्टूबर 2018 को ही शाम लगभग पांच बजे गनमैन महिपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था
  •  13 अक्टूबर 2018 को ही देर रात मेदांता अस्पताल में न्यायाधीश की पत्नी रितु ने दम तोड़ दिया था
  • 23 अक्टूबर 2018 की रात ध्रुव ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया
  • एसआइटी ने 15 दिसंबर 2018 को जांच पूरी और अदालत में रिपोर्ट 27 दिसंबर को दाखिल की गई
  •  9 जनवरी 2019 को आरोपित महिपाल के खिलाफ अदालत में चार्ज फ्रेम किया गया
  •  कुल 81 गवाह बनाए गए थे, इनमें से 64 लोगों की गवाही कराई गई, दो चश्मदीद गवाह थे
  •  गवाही पूरी होने के बाद 16 दिसंबर 2019 को महिपाल का पक्ष लिखा गया
  • अभियोजन पक्ष की ओर से 7 एवं 23 जनवरी 2020 को बहस की गई
  • बचाव पक्ष की ओर से 28 जनवरी व तीन फरवरी 2020 को बहस की गई
  •  छह फरवरी 2020 को महिपाल को दोषी करार दे दिया गया
  • सात फरवरी 2020 को अदालत ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद सजा सुना दी

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