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काश! ऐसे सशक्त प्रधानमंत्री पहले होते तो नहीं होना होता बेघर, छलका कश्मीरी परिवार का दर्द Gurugram News

जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर पालम विहार में रह रहे कश्मीरी परिवारों के लोग बहुत खुश हैं।

By Edited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 07:36 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 09:58 PM (IST)
काश! ऐसे सशक्त प्रधानमंत्री पहले होते तो नहीं होना होता बेघर, छलका कश्मीरी परिवार का दर्द Gurugram News
काश! ऐसे सशक्त प्रधानमंत्री पहले होते तो नहीं होना होता बेघर, छलका कश्मीरी परिवार का दर्द Gurugram News

गुरुग्राम[पूनम]। कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर पालम विहार में रह रहे कश्मीरी परिवारों के लोग बहुत खुश हैं। खुशी ऐसी कि कभी धाराप्रवाह बातों में बहने लगती है, तो कभी आंखों से छलकने लगती है। बोलते-बोलते लोग नि:शब्द हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हर विस्थापित कश्मीरी नतमस्तक है। वह जन्मभूमि जो संविधान के अनुच्छेद 370 और कश्मीर के कुछ लोगों के राजनीतिक दुराग्रह से छूट गई थी या छुड़वा दी गई थी, उसकी टीस दिल में भरी है।

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कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले और संसद में बहस पर आंखें टिकाए गुरुग्राम में रह रहे कश्मीरी परिवार बहुत खुश हैं। शाम को यहां एक आनंद मिलन समारोह का आयोजन किया गया है। 1990 के आस-पास कश्मीर से आए कई परिवार पालम विहार व गुरुग्राम के अलग-अलग हिस्सों में बसे हैं। कश्मीरी परिवारों का यह वर्ग बेहद खुशी है और खुशी अलग-अलग तरह से लोगों ने व्यक्त की। पालम विहार के सी ब्लॉक में रहने वाले शिबन कौल कहते हैं कि हम बेहद खुश हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ऐतिहासिक फैसला है। एक सशक्त सरकार हमारा नेतृत्व कर रही है, इस बात को लेकर आज गर्व महसूस हो रहा है। काश कि यह फैसला पहले होता। काश कि कोई ऐसा प्रधानमंत्री पहले आया होता।

शिबन कौल बताते हैं कि हमलोग 1990 में यहां आए। वहां से भगाया गया। अपना सबकुछ छोड़ कर हम वहां से भागे थे। हर कश्मीरी आज बहुत खुश है। हमलोग अपनी जन्मभूमि से उस आजाद भारत में विस्थापित किए गए थे, जहां लोकतंत्र था। उस लोकतंत्र में संविधान की धारा 370 का ब्रह्मास्त्र उन्हें दे दिया गया था, जिससे उन्होंने हम पर जुल्म किए। सेक्टर एक के आरडब्ल्यूए महासचिव ओएन कौल कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमें गर्व है।

संविधान की धारा 370 को ढाल बनाकर हमें अपना घर छोड़ने को मजबूर किया गया था। वर्ष 1990 में हमलोग यहां आए थे। अपनी जमीन, अपने खेत और अपना घर छोड़कर। हमने जो पीड़ा झेली है, उसे सरकार ने समझा। अब जम्मू कश्मीर का विकास बेहतर तरीके से हो सकेगा। यह बहुत पहले होना चाहिए था। हम लोग सरकार के इस फैसले से बहुत खुश हैं। मैं तो श्री नगर का रहने वाला हूं। हमें अपना घर किस तरह छोड़ना पड़ा था हम जानते हैं।

पालम विहार में रहने वाले राजदान कहते है कि विपक्ष तब क्यों नहीं रो रहा था, जब हमें विस्थापित किया गया था? सरकार ने बहुत ही सही फैसला किया है। हम बहुत खुश है। हम तो अपने देश से ही विस्थापित होकर देश में रहे। तब जबकि हमारी अपनी सरकार थी, देश के एक हिस्से में अपनी जड़ों को छोड़कर दूसरी जगह बसे। वहां सब कुछ छोड़कर आए थे। सरकार का यह फैसला हमसे ज्यादा किसे खुश करेगा।

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