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भाजपा ने नए की जगह पुराने नेताओं पर ही क्यों जताया भरोसा? चुनावी रणनीति आई सामने; कांग्रेस के लिए टेंशन

Haryana Vidhansabha Election 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बुधवार को पहली लिस्ट जारी कर दी। जिसके बाद टिकट कटने वाले मंत्रियों पूर्व मंत्रियों और विधायकों में नाराजगी देखने को मिली। बीजेपी ने पुराने उम्मीदवारों पर ही दांव खेला है। प्रदेश में गुरुग्राम भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस लेख के माध्यम से उन कारणों को पढ़िए जिसे देखते हुए पुराने धुरंधरों पर भरोसा जताया गया।

By Aditya Raj Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 05 Sep 2024 01:06 PM (IST)
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Haryana Election 2024: भाजपा ने नए की जगह पुराने खिलाड़ियों पर जताया भरोसा। फाइल फोटो

आदित्य राज, गुरुग्राम। बदली परिस्थितियों में जोखिम मोल लेने की बजाय भाजपा ने पुराने खिलाड़ियों पर भाजपा ने भरोसा जताया है। गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र से मुकेश शर्मा पहलवान, बादशाहपुर से पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह एवं सोहना से पूर्व विधायक तेजपाल तंवर को टिकट दिया गया है। तीनों चुनावी राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं।

किसे, कहां और कैसे मात देना है, उन्हें पता है। हालांकि अन्य दावेदारों के असंतोष को खत्म करना तीनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। असंतोष की वजह से चुनाव में भीतरघात की आशंका है। असंतोष की वजह से ही पार्टी को टिकट बंटवारे में काफी समय लग गया।

पार्टी ने  एंटी-इनकंबेसी को कम करने का किया प्रयास

पार्टी ने अपने दो वर्तमान विधायकों गुड़गांव से सुधीर सिंगला एवं सोहना से विधायक व प्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री संजय सिंह को बेटिकट कर दिया। इस तरह एंटी-इनकंबेसी फैक्टर को पार्टी ने कम करने का प्रयास किया है।

प्रदेश में गुरुग्राम जिला भाजपा (Haryana BJP) का गढ़ माना जाता है। जिले में चार विधानसभा क्षेत्र गुड़गांव, बादशाहपुर, सोहना एवं पटौदी हैं। गुड़गांव, सोहना एवं पटौदी पर भाजपा का कब्जा है। बादशाहपुर में बहुत कम अंतर से हार हुई थी। पटौदी को छोड़कर तीन सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी की घाेषणा कर दी है।

गुड़गांव से विधायक सुधीर सिंगला का टिकट काटकर उनकी जगह मुकेश शर्मा पहलवान को मैदान में उतारा गया है। यह पार्टी की ओर से टिकट के लिए प्रबल दावेदारों में से एक थे। वर्ष 2014 में बादशाहपुर से भी प्रबल दावेदार थे। उस समय पार्टी ने पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को मैदान में उतारा था।

मोदी लहर के बाद भी पाए थे 40 हजार वोट

मुकेश शर्मा पहलवान निर्दलीय लड़ गए थे। मोदी लहर के बाद भी उन्होंने लगभग 40 हजार वोट प्राप्त किए थे। उसके बाद से गुड़गांव से लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लगातार जनसंपर्क अभियान में जुटे थे। स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं की उनकी नजदीकी है।

लगातार लोगों के बीच रहने का लाभ उन्हें पार्टी ने दिया है। गुड़गांव पर पिछले 10 सालों से भाजपा का कब्जा है। ऐसे में कब्जे को बरकरार रखना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि गुड़गांव से पार्टी में मजबूत दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी। बादशाहुपर से उम्मीदवार बनाए राव नरबीर सिंह जिले में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। उन्होंने ही वर्ष 2014 के चुनाव में पहली बार बादशाहपुर से कमल खिलाया था।

मनीष दिवंगत विधायक राकेश दौलताबाद से हारे

वह देश में ताऊ के नाम से ख्यात चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) से लेकर बंसीलाल की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। मनोहर लाल की पहली सरकार में अपने कार्यों से उन्होंने जिले में विकास पुरुष की पहचान बनाई। वर्ष 2019 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर मनीष यादव को दे दिया था। मनीष को निर्दलीय दिवंगत विधायक राकेश दौलताबाद (Rakesh Daulatabad) ने हरा दिया था।

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इस बार राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी राकेश दौलताबाद मैदान में हैं। उन्हें क्षेत्र के लोगों ने महापंचायत कर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में कुमुदनी राकेश दौलताबाद को काफी मजबूत मना जा रहा है। इसे देखते हुए भाजपा इस बार कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहती थी।

सोहना से पूर्व विधायक तेजपाल तंवर को उतारा गया है। मृदुभाषी व मिलनसार स्वभाव के होने की वजह से सबकी पसंद हैं। पार्टी में उनके आलोचकों की संख्या बहुत कम है। उन्हें क्षेत्र से विधायक व प्रदेश सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री संजय सिंह का टिकट काटकर कमल खिलाने का जिम्मा सौंपा गया है।

ऐसे में उनके सामने गढ़ पर कब्जा बरकरार रखना काफी बड़ी चुनौती है क्योंकि दावेदारों के असंतोष का भी उन्हें सामना करना पड़ेगा। हालांकि तेजपाल तंवर ने ही वर्ष 2014 में सोहना में पहली बार कमल खिलाया था।

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