BJP से बगावत कर गहलोत ने दर्ज की थी ऐतिहासिक जीत, इनेलो सरकार में बने थे डिप्टी स्पीकर; पढ़िए उनके बारे में सबकुछ
Haryana Election 2024 धर्मबीर गाबा जैसे दिग्गज को हराकर इनेलो सरकार में गोपीचंद गहलोत डिप्टी स्पीकर बने थे। हालांकि इससे पहले उन्हें दो चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन तीसरी बार के चुनाव में उन्होंने इतिहास ही रच दिया था। बताया गया कि उस साल गुड़गांव से इनेलो ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। गोपीचंद गहलोत चौटाला परिवार के करीबी माने जाते थे।
विनय त्रिवेदी, गुरुग्राम। भाजपा से 1991 में बगावत कर गुड़गांव सीट से निर्दलीय चुनाव में उतरे गोपीचंद गहलोत को पहले और दूसरे मुकाबले में कुछ खास सफलता नहीं मिली, लेकिन अपने तीसरे मुकाबले वर्ष 2000 के चुनाव में उन्होंने धर्मबीर गाबा जैसे दिग्गज नेता को हराकर परचम फहरा दिया।
इस साल हुए चुनाव में प्रदेश की 11 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों का कब्जा था। ऐसे में निर्दलियों की मांग पर चौटाला सरकार ने गोपीचंद गहलोत को डिप्टी स्पीकर का पद दिया।
धर्मबीर गाबा चार बार बने थे विधायक
राजनीतिक गलियारों में गुड़गांव सीट पंजाबी बहुल मानी जाती है। हालांकि, इस सीट से चार बार जाट, चार बार पंजाबी, तीन बार बनिया और दो बार यादव बिरादरी के विधायकों का कब्जा रहा है। पंजाबी समुदाय से अकेले धर्मबीर गाबा ही ऐसे विधायक रहे, जिन्होंने चार बार 1982, 1991, 1996 और वर्ष 2005 में चुनाव जीता। इनके विजयी रथ को दो बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने रोका।
पहली बार वर्ष 2000 में गोपीचंद गहलोत और दूसरी बार 2009 में सुखबीर कटारिया। गोपीचंद गहलोत 1991 से पहले तक भाजपा नेता हुआ करते थे। गोपीचंद ने भाजपा से 1987 और फिर 1991 के चुनाव में टिकट मांगा। लेकिन दोनों ही बार उन्हें मना कर दिया गया। 1991 में गोपीचंद भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए।
उस दौरान गोपीचंद 17,879 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी धर्मबीर गाबा 37,081 वोट पाकर जीत गए। 1996 के चुनाव से पहले गोपीचंद समता पार्टी में आ गए थे। उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर दूसरा चुनाव 1996 में लड़ा।
गोपीचंद को तीसरी बार में मिली थी सफलता
इस बार उनके वोट जरूर बढ़े, लेकिन तीसरे नंबर पर खिसक गए। चुनाव में गोपीचंद को 26,097 वोट मिले थे। 33,716 वोट पाकर एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी धर्मबीर गाबा विजेता रहे। भाजपा प्रत्याशी सीताराम सिंगला दूसरे नंबर पर थे। इन्हें 26,358 वोट मिले थे। दो चुनाव हारने के बाद भी गोपीचंद ने हार नहीं मानी और तीसरी बार वर्ष 2000 में एक बार फिर निर्दलीय मैदान में उतरे। इस बार उन्होंने तीन बार के विधायक रहे धर्मबीर गाबा का विजयी रथ रोका और 40493 वोट पाकर जीत का परचम फहरा दिया। धर्मबीर गाबा को 25,181 वोट मिले थे।
डिप्टी स्पीकर बनने के बाद चौटाला परिवार के करीब आए
वर्ष 2000 में चुनाव जीतकर गोपीचंद गहलोत चौटाला सरकार में डिप्टी स्पीकर भी बने। इनेलो ने 47 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस के 21 और भाजपा के छह विधायकों ने जीत हासिल की थी। 11 निर्दलीय जीते थे। गुड़गांव सीट से इनेलो ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था।
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बताया जाता है कि इनेलो ने पर्दे के पीछे से गोपीचंद गहलोत को समर्थन दिया था। डिप्टी स्पीकर बनने के बाद वह चौटाला परिवार के करीब आए। गोपीचंद ने 2005 और 2014 में भी इनेलो के टिकट पर गुड़गांव सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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