Gurugram Prince Murder Case: 15 जनवरी को तय होगा चारों अधिकारियों का भविष्य
प्रिंस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद का भविष्य 15 जनवरी को तय हाेगा।
गुरुग्राम (आदित्य राज)। प्रिंस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपित तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद का भविष्य 15 जनवरी को तय हाेगा।
उस दिन दाखिल किए गए चालान पर पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत संज्ञान लेगी। अदालत तय करेगी कि अधिकारियों के ऊपर मुकदमा चलेगा या नहीं। सीबीआइ द्वारा स्कूल को क्लीनचिट देने की बात सामने आ रही है। 15 जनवरी को स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी मुकदमा चलेगा या नहीं यह तय होगा। इस तरह मामले में 15 जनवरी का दिन खास है।
यह जानकारी पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि चाराें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची सीबीआइ 13 जनवरी को अदालत में सौपेगी। हालांकि दोनों सूची चालान पेश करने के साथ ही सौंपनी चाहिए थी। बिना गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची के अदालत चालान पर संज्ञान नहीं ले सकती।
गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची के आधार पर अदालत तय करेगी कि आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलेगा या नहीं। वैसे जिस तरीके से बस सहायक को मामले में फंसाया जा रहा था, उससे चारों अधिकारियों का बचना मुश्किल है। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी मामला बनता है। जब बच्चे स्कूल परिसर के अंदर आ जाते हैं फिर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रबंधन की होती है। प्रिंस की हत्या स्कूल के बाथरूम में की गई थी। ऐसे में स्कूल प्रबंधन को क्लीनचिट कैसे दी जा सकती है।
मुकदमा चलाने की संस्तुति आवश्यक
हरियाणा पुलिस के चारों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रदेश सरकार से संस्तुति आवश्यक है। सीबीआइ को यह प्रदेश सरकार से लेनी होगी। प्रिंस हत्याकांड में अगला सप्ताह काफी महत्वपूर्ण है। खासकर 15 जनवरी के ऊपर सभी पक्ष की नजर रहेगी। बता दें कि सोहना रोड स्थित एक नामी विद्यालय के बाथरूम में आठ सितंबर 2017 को छात्र प्रिंस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।
हत्या के कुछ ही देर बाद गुरुग्राम पुलिस ने स्कूल के बस सहायक को आरोपित मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। जब जांच सीबीआइ को सौंपी गई तो पूरा मामला ही पलट गया था। सीबीआइ ने आरोपित के रूप में विद्यालय के ही एक छात्र भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की पहचान की थी। वह तभी से ही न्यायिक हिरासत में है। सीबीआइ की रिपोर्ट के आधार पर बस सहायक को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया था।
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