Gurugram News: हादसे के समय बिल्डिंग में ही नीचे खाना बना रहे थे श्रमिक
गुरुग्राम में सोमवार को हादसे के बाद तीन घंटे तक आपरेशन चलाया गया। सूचना मिलते ही इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त मनोज कुमार से लेकर जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव भी पहुंचे। आपरेशन के दौरान मलबा न गिरे इसका विशेष ध्यान रखा गया।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। उद्योग विहार फेज-एक के प्लाट नंबर 257 की जर्जर बिल्डिंग की छत सोमवार सुबह भरभराकर गिर गई। इससे चार श्रमिक मलबे के नीचे दब गए। इनमें से दो की मौत हो गई जबकि दो घायल हो गए। घायलाें में एक को मामूली चोट लगी है। मृतक की पहचान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में गांव जमल्दीपुर के रहने वाले 25 वर्षीय प्रताप और 45 वर्षीय गुड्डू के रूप में की गई। घायलाें की पहचान गांव जमल्दीपुर के ही रहने वाले रामाकांत और नरेश के रूप में की गई। दोनों का जिला नागरिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। समाचार लिखे जाने तक मामले में शिकायत नहीं दी गई थी।
तीन मंजिला बिल्डिंग में चल रहा था एक्सपोर्ट हाउस
कई साल पहले प्लाट नंबर 257 की तीन मंजिला बिल्डिंग में एक्सपोर्ट हाउस था। बिल्डिंग जर्जर होने पर एक्सपोर्ट का काम बंद कर दिया गया। पिछले एक महीने से बिल्डिंग को तोड़ने का काम किया जा रहा था। तोड़ने वाले श्रमिक बिल्डिंग में ही नीचे रह रहे थे। तीसरी मंजिल की छत तोड़ी जा चुकी थी। उसका मलबा दूसरी मंजिल की छत पर था। तीसरी मंजिल का पिलर भी दूसरी मंजिल की छत पर ही था। इससे दूसरी मंजिल की छत पर दबाव बढ़ गया। नतीजा यह हुआ कि सोमवार सुबह लगभग सवा सात बजे अचानक दूसरी मंजिल की छत भरभराकर पहली मंजिल की छत पर गिर गई। इसके बाद पहली मंजिल की छत नीचे गिर गई। उस दौरान प्रताप, गुड्डू और रामाकांत नीचे किचन में खाना बना रहे थे। उनके ऊपर मलबा गिर गया। इनमें से प्रताप और गुड्डू की मौत हो गई। रामाकांत को काफी चोट लगी है। नरेश स्नान करके अंदर जा रहे थे। इस वजह से वह भी चपेट में आ गए। उन्हें हल्की चोट लगी है। दो अन्य सुरेंद्र और छोटू बाल-बाल बच गए। हादसे के दौरान सुरेंद्र बाथरूम में स्थान कर रहे थे और छोटू बाहर से पीने का पानी ले गए हुए थे। सुरेंद्र मृतक प्रताप के सगे छोटे भाई हैं।
तीन घंटे तक चला आपरेशन
हादसा सुबह लगभग सात बजकर, 20 मिनट पर हुआ। 15 से 20 मिनट के भीतर स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई। अगले पौन घंटे के भीतर राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की टीम भी मौके पर पहुंच गई। तीन घंटे तक आपरेशन चलाया गया। सूचना मिलते ही इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त मनोज कुमार से लेकर जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव भी पहुंचे। आपरेशन के दौरान मलबा न गिरे, इसका विशेष ध्यान रखा गया। सिविल डिफेंस की टीम ने भी आपरेशन चलाने में सहयोग दिया।
पांच सदस्यीय कमेटी गठित
हादसे की जांच के लिए जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने एसडीएम रविंद्र यादव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी में इलाके के सहायक श्रम आयुक्त, औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग के सहायक निदेशक, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा हरियाणा राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम के वरिष्ठ प्रबंधक को शामिल किया गया है। यह कमेटी हादसे के कारणों की जांच कर जिम्मेदारी तय करेगी।
भविष्य की घटनाओं को रोकने पर सुझाव देगी टीम
भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो उसके लिए सुरक्षा उपायों के बारे में सुझाव देगी। साथ ही हादसे में मौत के शिकार हुए श्रमिकों के स्वजन को मुआवजा दिलवाने का कार्य करेगी। घायलों को भी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। कमेटी के गठन के साथ ही एसडीएम रविंद्र यादव ने औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग के सहायक निदेशक शैलेस कुमार के साथ घटनास्थल का दौरा कर जांच शुरू कर दी। इधर, इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त मनोज कुमार का कहना है कि अभी प्लाट मालिक या ठेकेदार के विरुद्ध शिकायत पुलिस को नहीं दी गई है। शिकायत सामने आते ही मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
नहीं था किसी काे हादसा होने का आभास
वीरेंद्र ने बताया कि उनके दो भाई प्रताप और सुरेंद्र जर्जर बिल्डिंग को तोड़ने का काम कर रहे थे। दोनों बिल्डिंग में ही नीचे रहते थे। किसी को आभास नहीं था कि बिल्डिंग की छत इस तरह भरभराकर गिर जाएगी। बाथरूम की तरफ की छत नहीं गिरी अन्यथा उनके भाई सुरेंद्र भी चपेट में आ जाते। प्रताप की एक साल पहले ही शादी हुई थी। एक सात महीने का बेटा है। परिवार के ऊपर व्रजपात हो गया। प्रताप के चचेरे भाई नंदलाल कहते हैं कि मामले की जांच से पता चलेगा कि आखिर हादसा कैसे हुआ।