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स्वच्छता रैकिंग में गुड़गांव रेलवे स्टेशन ने लगाई लंबी छलांग, जानें अब कितने पायदान पर

पिछले साल तक गुड़गांव रेलवे स्टेशन पर 40 डस्टबिन की सुविधा थी। उसे बढ़ाकर 110 की गई। पहले तीन से चार घंटे पर एक बार सफाई होती थी अब हर दो घंटे में होती है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 08:45 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 08:45 PM (IST)
स्वच्छता रैकिंग में गुड़गांव रेलवे स्टेशन ने लगाई लंबी छलांग, जानें अब कितने पायदान पर
स्वच्छता रैकिंग में गुड़गांव रेलवे स्टेशन ने लगाई लंबी छलांग, जानें अब कितने पायदान पर

गुरुग्राम (आदित्य राज)। यदि सही दिशा में ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो सफलता मिलनी तय है। गुड़गांव रेलवे स्टेशन पर स्वच्छता को लेकर पिछले एक साल के दौरान कई स्तर पर प्रयास किए। इसका परिणाम है कि जहां पिछले साल गुड़गांव रेलवे स्टेशन की रैकिंग 201 थी वहीं इस साल 94 हो गई है। कुछ सुविधाओं की कमी की वजह से रैकिंग और बेहतर नहीं हो सकी।

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बढ़ गई डस्‍टबिन की संख्‍या

पिछले साल तक रेलवे स्टेशन पर 40 डस्टबिन की सुविधा थी। उसे बढ़ाकर 110 की गई। पहले तीन से चार घंटे पर एक बार सफाई होती थी। अब हर दो घंटे पर सफाई से लेकर पोछा तक लगाने का प्रावधान किया गया है। यात्रियों के बैठने के लिए हॉल की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई गई। नए टॉयलेट बनाने के साथ ही उसकी साफ-सफाई के ऊपर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। यही नहीं अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। वे समय-समय पर साफ-सफाई को लेकर राउंड मारते रहते हैं। इन वजहों से रैकिंग में जबर्दस्त सुधार हुआ है।

अगले साल तक रैकिंग में और सुधार होने की उम्मीद

रेलवे अधिकारियों का दावा है कि अगले साल तक रैकिंग में सुधार होगा। यदि सिंगल यूज प्लास्टिक अभियान के तहत प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन कुछ महीने पहले लगाई गई होती तो इस बार रैकिंग 50 तक पहुंच जाती। रेलवे स्टेशन पर दो मशीनें लगाई गई हैं। अब प्लास्टिक की बोतलें कहीं भी नहीं दिखाई देंगी क्योंकि मशीन में बोतल डालने पर कूपन मिलेगा। इससे लोग जागरूक होंगे। जितनी जागरूकता बढ़ेगी उतना ही रैकिंग में सुधार होगा।

काफी बेहतर करने के लिए कुछ विशेष सुविधा की आवश्यकता

रैकिंग काफी बेहतर करने के लिए गुड़गांव रेलवे स्टेशन पर कई सुविधाएं तत्काल प्रभाव से उपलब्ध करानी होंगी। सबसे पहले प्रवेश एवं निकास की अलग-अलग व्यवस्था करनी होगी। स्टेशन के भीतर जाने व स्टेशन से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है। उसकी भी चौड़ाई काफी कम है। रास्ते के बगल में ही टिकट काउंटर हैं। इस वजह से 24 घंटे यात्रियों का दबाव बना रहता है। दबाव की वजह से बार-बार सफाई करना संभव नहीं है। इस बारे में रेलवे अधिकारियों से लेकर यात्री तक लंबे समय से मांग कर रहे हैं।

लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्‍या

यात्रियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। खासकर शीतला माता मंदिर में आयोजित मेलों के दौरान प्लेटफॉर्म से लेकर स्टेशन परिसर तक में पैर रखने की जगह नहीं होती। उस दौरान स्टेशन के भीतर आने-जाने वाले रास्ते पर सफाई करना काफी मुश्किल हो जाता है। इससे भी रैकिंग काफी पिछड़ जाती है।

जल्‍द होगा और बेहतर 

मुझे खुशी है कि पिछले एक साल से दिन-रात किए गए प्रयास का परिणाम सामने आने लगा है। साफ-सफाई के ऊपर काफी प्रयास किए गए हैं। पैसेंजर फीडबैक को गंभीरता से लिया गया। इस वजह से तस्वीर बदली है। अगले साल रैकिंग को और बेहतर किया जाएगा। कुछ सुविधाएं यदि उपलब्ध हो जाएं फिर गुड़गांव रेलवे स्टेशन कई मामलों में देश के गिने-चुने स्टेशनों में शुमार होगा।

एसएल मीणा, अधीक्षक, गुड़गांव रेलवे स्टेशन

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