Chinese Game Ban: गेम्स बैन होने से होगा बच्चों का डिजिटल डीटॉक्स
PUBG and Chinese Mobile Game App Ban न्यूरो साइकोलॉजिस्ट तेजस्विनी सिन्हा का कहना है कि बच्चे इस समय शारीरिक गतिविधियों से जुड़ सकेंगे।
गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। PUBG and Chinese Mobile Game App Ban: कुशल अपने मोबाइल पर चिपका हुआ था और खबर आई कि पब्जी सहित कई अन्य चाइनीज एप बैन कर दिए गए हैं। बारह वर्षीय कुशल के पैरों तलो मानो जमीन खिसक गई हो। वहीं थोड़ी दूरी पर खड़ी मां ममता सचदेवा को जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो। इतनी खुश हुईं कि सरकार को दुआएं डे डालीं। यह केवल किसी एक की स्थिति नहीं है। घर में अक्सर महिलाएं कहते हुए सुनी जाती हैं कि कभी पति तो कहीं बच्चे को मोबाइल गेम खेलने की लत है।
ऐसे में बच्चे की आंखें खराब हो रही हैं, बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा है या फिर पति फोन पर रहने की वजह से समय नहीं देता। अब पब्जी बंद होने से ऐसी मांओं और पत्नियों को राहत पहुंची है। यह तो एक पक्ष हुआ। दूसरा पक्ष है बच्चों का स्वास्थ्य। पब्जी जैसे खेलों में बच्चों के समय बिताने से उन्हें शारीरिक और मानिसक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पेश आ रही थीं। अब गेम्स बैन होने से बच्चों को स्क्रीन समय से मुक्ति मिलेगी और उनका डिजिटल डीटॉक्स हो सकेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बिलकुल सही मौका है बच्चों को रचनात्मकता से जोड़ने का।
मानसिक स्वास्थ्य होगा बेहतर
कुछ समय पहले खबर आई थी कि बच्चे को गेम खेलने से रोकने पर बच्चे ने आत्महत्या कर ली थी। फोन की लत के कारण बच्चे ऐसे ही असहिष्णु हो रहे हैं। उन्हें उसमें रोक-टोक पसंद नहीं आ रही है। स्थिति इतनी बदतर हो जाती है कि बच्चा माता-पिता की जरा सी डांट पर आक्रामक होने लगता है और उसका व्यवहार हिंसक होने की ओर बढ़ने लगता है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट विचित्रा दर्गन का कहना है कि अक्सर माता-पिता ऐसी समस्याएं लेकर आते हैं कि बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ गया है। इसका कारण फोन पर अधिक समय बिताना और गेम खेलना होता था। अब बच्चों को मानसिक राहत भी मिलेगी क्योंकि वे स्क्रीन टाइम से दूर हो सकेंगे।
शारीरिक गतिविधियों से जुड़ सकेंगे बच्चे
न्यूरो साइकोलॉजिस्ट तेजस्विनी सिन्हा का कहना है कि बच्चे इस समय शारीरिक गतिविधियों से जुड़ सकेंगे। उनका कहना है कि अब बच्चों के पास मोबाइल पर खेलों के ज्यादा विकल्प नहीं बचेंगे तो वे कुछ और करना चाहेंगे। ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों और व्यायाम से जोड़ें।
ऐसा करने से एक बार बच्चे का मन इसमें लग गया तो वह इसी राह पर चल निकलेगा। उनका कहना है बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सुकून देने के लिए उन्हें पेंटिंग, लेखन औ्र बागवानी से भी जोड़ा जा सकता है। इससे मानसिक तनाव और कुंठा जैसी चीजें धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं।
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