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मारुति कांड में दोषी 31 लोगों को सजा का एलान आज, जानें पूरी कहानी

आइएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के श्रमिकों ने मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 को उपद्रव किया था। इसमें तत्कालीन महाप्रबंधक अवनीश देव जिंदा जल गए थे।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 17 Mar 2017 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 17 Mar 2017 02:02 PM (IST)
मारुति कांड में दोषी 31 लोगों को सजा का एलान आज, जानें पूरी कहानी
मारुति कांड में दोषी 31 लोगों को सजा का एलान आज, जानें पूरी कहानी

गुरुग्राम (जेएनएन)। बहुचर्चित मारुति सुजुकी हिंसा कांड में दोषियों की सजा पर कोर्ट में बहस जारी है। सरकारी अधिवक्ता अनुराग हुड्डा ने अवनीश देव की मौत के लिए सीधे जिम्मेदार 13 श्रमिकों को फांसी की सजा देने की मांग की, वहीं, बाकी 18 श्रमिकों को सात साल की सजा देने की मांग की है। उन्होंने तर्क दिया कि एक व्यक्ति को पहले इतना पीटा गया कि वह उठ नहीं सका, फिर उसके चैंबर में आग लगा दी गई। इससे क्रूर हिंसा नहीं हो सकती। फांसी की सजा देने से समाज में संदेश जाएगा कि इस तरह की हरकत करने का अंजाम क्या होता है।

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वहीं, कहा जा रहा है कि दोषियों की संख्या काफी होने की वजह से बहस में लग सकता है। ऐसी स्थिति में सजा का एलान शुक्रवार के बजाय शनिवार को होने की संभावना है।

यह था पूरा मामला

आइएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के श्रमिकों ने 18 जुलाई 2012 को प्लांट में उपद्रव मचाया था। उस दौरान आग लगने से तत्कालीन महाप्रबंधक अवनीश देव की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। यही नहीं प्रबंधन पक्ष के 94 लोगों को चोटें आई थीं। पुलिस ने 213 श्रमिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। दो श्रमिकों के मामले अदालत में लंबित हैं। 62 श्रमिक फरार चल रहे हैं।

घटना से दोषी करार देने तक
आइएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के श्रमिकों ने मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 को उपद्रव किया था। श्रमिकों ने न केवल प्लांट में तोड़फोड़ की थी बल्कि प्रबंधन के करीब सौ लोगों के ऊपर हमला भी किया था। तत्कालीन महाप्रबंधक अवनीश देव का एक पैर टूट गया था। प्लांट के प्रशासनिक सेक्शन आग लगा दी गई थी। देव बाहर नहीं निकल पाए जिससे वे जिंदा जल गए थे। 
मामला जिला अदालत में चला दस मार्च 2017 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने 148 आरोपियों में से 31 को दोषी करार दिया गया, जबकि 117 को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। दोषियों को कितनी सजा हो इस पर आज बचाव पक्ष व अंतिम पक्ष की बहस होनी है जिसके बाद अदालत सजा सुनाएगी। 
पहले 11 आरोपी नामजद और पांच सौ से अधिक के खिलाफ मामला मानेसर थाने में दर्ज किया गया था।
बाद में पुलिस ने 213 श्रमिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें 148 श्रमिकों के बारे फैसला सुनाया गया। दो श्रमिकों के मामले लंबित हैं। 62 फरार चल रहे हैं जबकि एक की मृत्यु हो चुकी है। 31 दोषी करार दिए गए श्रमिकों में से 13 को हत्या का दोषी पाया गया है। 18 श्रमिकों को मारपीट एवं आगजनी का दोषी पाया गया।
यूनियन प्रधान सहित 13 हत्या के दोषी

अदालत ने जिन 13 श्रमिकों को हत्या का दोषी माना है उनमें मारुति सुजुकी यूनियन के तत्कालीन प्रधान राममेहर एवं मुख्य आरोपी जियालाल भी शामिल हैं। इनके अलावा संदीप, रामविलास, सर्वजीत, पवन, सोहन, प्रदीप गुर्जर, अजमेर, सुरेश, अमरजीत, धनराज एवं योगेश को हत्या का दोषी करार दिया गया है। रामशबद, इकबाल, जोगेंद्र, प्रदीप, विजयलाल, आनंद, विशाल भारत, सुनील कुमार, प्रवीण कुमार, कृष्ण, वीरेंद्र सिंह, हरमिंदर, कृष्ण कुमार, नवीन, शिवाजी, सुरेंद्र, प्रदीप कुमार एवं नवीन को मारपीट से लेकर आगजनी का दोषी करार दिया है।

34 चश्मदीद गवाहों के आधार पर फैसला

हिंसा के दौरान 34 अधिकारी व कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हुए थे। यही मामले के चश्मदीद गवाह बनें। इनके ही बयानों पर एवं श्रमिकों के पास से उपद्रव में इस्तेमाल की गई मोटी पाइप मिलने के आधार पर फैसला सुनाया गया। जिन अस्पतालों में प्रबंधन पक्ष के लोग भर्ती थे, उन अस्पतालों के डाक्टरों के बयान भी मजबूत सबूत बने।
जो बरी हो गए उन्हें चश्मदीद पहचान नहीं सके। पहचान न होने के पीछे एक मुख्य कारण यह रहा कि उपद्रव के दौरान सीसीटीवी कैमरों का सर्वर भी तोड़ दिया गया था।

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