सात दिन में दो बार बैठक स्थगित : पार्षद बोले, सदन का मजाक बना दिया
नगर निगम सदन की बैठक सात दिन में दो बार टल गई। बृहस्पतिवार को सिविल लाइन स्थित स्वतंत्रता सेनानी सभागार में यह बैठक होनी थी लेकिन बैठक का समय दोपहर में दो बजे तय किया गया था।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : नगर निगम सदन की बैठक सात दिन में दो बार टल गई। बृहस्पतिवार को सिविल लाइन स्थित स्वतंत्रता सेनानी सभागार में यह बैठक होनी थी, लेकिन बैठक का समय दोपहर में दो बजे तय किया गया था। सीआरपीएफ एक कार्यक्रम में मेयर के व्यस्त होने के कारण दिन में दो बजे बैठक निर्धारित हुई, लेकिन कुछ पार्षदों का कहना था कि बैठक में पार्षदों को बोलने का समय कम मिलेगा। बैठक को लेकर सहमति नहीं बनी और अब यह बैठक 27 दिसंबर को होगी। बता दें कि इससे पहले 15 दिसंबर को बैठक होनी थी, लेकिन निगमायुक्त के बैठक में मौजूद होने की असमर्थता के चलते बैठक को स्थगित कर दी गई थी।
बैठक बार-बार टालने से खफा हुए पार्षद
बार-बार बैठक टालने को लेकर कई पार्षद खफा हैं। पार्षद रविद्र यादव का कहना है कि सदन की एक गरिमा होती है, इसका मजाक नहीं बनाना चाहिए। पार्षद हेमंत सेन ने कहा कि ऐसी क्या बात है, जिसको लेकर बार-बार बैठक टाली जा रही है। अधिकारी पार्षदों की बात सुनना नहीं चाहते हैं। सदन की बैठक में कई घोटाले और भुगतान का मुद्दा पार्षद उठाने वाले थे, इसको लेकर भी अधिकारियों में डर का माहौल है।
पहले की तरह लग गए थे टेंट-कुर्सी
पिछली बार की तरह इस बार भी सिविल लाइन स्थित स्वतंत्रता सेनानी सभागार में कुर्सियां टेबल और टेंट लग गया था। नाश्ते और लंच की भी तैयारी कर दी गई थी। लेकिन अचानक बैठक स्थगित करने की सूचना दे दी गई। पार्षदों का ये भी कहना है कि अपने व्यक्तिगत जरूरी कार्य छोड़कर वे बैठक में उपस्थित होने के लिए तैयार थे, लेकिन दो बार बैठक टलने के कारण पूरे सप्ताह का समय बर्बाद हो गया।
वीआइपी मूवमेंट में निगम अधिकारियों का क्या काम ?
वार्ड 19 के पार्षद अश्विनी शर्मा का कहना है कि केंद्र स्तर के वीआइपी मूवमेंट में निगम अधिकारियों का क्या काम होता है। समय तय करके बार-बार बैठक टालने का कोई औचित्य नहीं है। वार्ड 21 के पार्षद धर्मबीर का कहना है कि नियमानुसार हर महीने बैठक होनी चाहिए। अफसरों को अपना रवैया ठीक कर बैठक करवानी चाहिए ताकि शहर के विकास कार्य न रुके।