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निगम की डायरी: संदीप रतन

निगम अधिकारियों पर घर की बही काका लिखणिया वाली हरियाणवी कहावत सटीक बैठ रही है। इस महकमे में कलम अपनी मर्जी से ही चलती है भले ही घोटाला चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 04:16 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

घर की बही, काका लिखणिया

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निगम अधिकारियों पर 'घर की बही, काका लिखणिया' वाली हरियाणवी कहावत सटीक बैठ रही है। इस महकमे में कलम अपनी मर्जी से ही चलती है, भले ही घोटाला चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो। दो साल की फाइलों को खंगाला जाए तो कई दफन हो चुके बड़े घोटाले की परतें भी खुल सकती हैं। ऐसी ही एक शिकायत आरटीआइ कार्यकर्ता एसके शर्मा ने मुख्यमंत्री और राज्य सतर्कता ब्यूरो महानिदेशक को भेजी है। शिकायत में बताया गया है कि निगम अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों को स्थानीय स्तर पर दबा रहे हैं। मामले उजागर होने के बाद उनको रफा-दफा कर दिया जा रहा है और संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। बिना काम के भुगतान, फायर एनओसी व स्ट्रीट वेंडिग से जुड़े गड़बड़झालों में अधिकारी मातहतों को बचाने में जुटे हैं। इससे उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

वायरल चिट्ठी से मची खलबली

नगर निगम की लेखा शाखा। निगम के खजाने पर इसकी शाखा का कब्जा है। हर छोटे-बड़े बिल का भुगतान यहीं से होता है। इसके साथ ही निगम के बैंकों में जमा करोड़ों रुपये का हिसाब-किताब भी यही शाखा रखती है। कुल मिलाकर इसे लेन-देन शाखा कहा जा सकता है। लेकिन लेन-देन टेबल के नीचे से होने लगे तो यह गैरकानूनी की श्रेणी में आ जाता है। भ्रष्टाचार से जुड़ी ऐसी एक शिकायत वाट्सएप खूब वायरल हो रही है। चिट्ठी नगर निगम आयुक्त के नाम लिखी गई है, जिसमें ठेकेदारों से बिलों के भुगतान की एवज में पैसे मांगने व महिला कर्मचारियों से संबंधित भी कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शिकायत में पूर्व लेखा अधिकारियों का भी जिक्र है, इसके साथ ही इन दिनों चल रहे भ्रष्टाचार को भी उजागर किया गया है। शिकायत की जांच होगी या डस्टबिन में जाएगी, ये बात तो निगम वाले ही बता सकते हैं।

हर जगह वसूली गैंग

साइबर सिटी में काफी दिनों से वसूली गैंग सक्रिय हैं। यह गैंग लूटपाट तो नहीं करता, लेकिन वैध-अवैध काम-धंधे करने वालों से उगाही करने में पीछे नहीं है। सोसायटियों में कार धोने वालों से, सरकारी जमीन और सड़कों पर रेहड़ियां लगाने वालों से जमकर वसूली हो रही है। कुछ लोग डर के मारे शिकायत नहीं देते, अगर शिकायत दे दी जाए तो भी उस पर पुलिस से कार्रवाई की उम्मीद नहीं है। वसूली गैंग को पुलिस का भी डर नहीं है। ताजा मामला वार्ड 19 के पार्षद अश्विनी शर्मा का है। पार्षद ने सेक्टर 31 में अवैध रूप से लगने वाली रेहड़ियों को हटाने की मांग करने पर इंटरनेशनल नंबरों से जान से मारने की धमकी मिलने की शिकायत पुलिस को दी है। इसी तरह सोसायटियों में कार धोने वाले सौ से डेढ़ सौ रुपये ज्यादा ले रहे हैं। उनका कहना है कि उनसे भी कुछ लोग वसूली करते हैं।

झुग्गियों के साथ जल गए अरमान

रोटी, कपड़ा और मकान। लिखने और देखने में ये जरूरतें बड़ी मामूली और आसान लगती हैं, लेकिन इन्हीं जरूरतों को पूरा करने में पूरी जिदगी निकल जाती है। बहुत से श्रमिकों का फुटपाथ से उठकर झुग्गी में पहुंचना भी एक सपना होता है। लेकिन इन दिनों ये सपने धू-धू कर जल रहे हैं। शहर में झुग्गियों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नाथूपुर-सिकंदरपुर क्षेत्र में कुछ दिन पहले आग लगने से 700 झुग्गियां जल गई थीं। यहां पर पंद्रह सौ झुग्गियां थीं। आधी झुग्गियों को दमकल की मदद से बचाया गया। गत रविवार को मानेसर के नाहरपुर कासन में 110 झुग्गियां जल गई। ज्यादातर झुग्गियों को खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर बसा कर भूमाफिया किराया वसूल रहे हैं। मजबूर झुग्गी वाले तो यहां रहने की कीमत अदा कर रहे हैं, लेकिन सरकारी जमीनों को बचाने में नगर निगम सहित अन्य सरकारी महकमे दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।


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