Move to Jagran APP

निगम की डायरी: संदीप रतन

वैसे तो नगर निगम की लेखा शाखा में आमजन से संबंधित कोई खास काम नहीं होता लेकिन आमजन से जुड़े करोड़ों के खजाने की मालिक लेखा शाखा ही है। निगम में गड़बड़झाले और घोटाले नई बात नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 06:50 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 06:50 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

खातों ने उड़ाई अधिकारियों की नींद

prime article banner

वैसे तो नगर निगम की लेखा शाखा में आमजन से संबंधित कोई खास काम नहीं होता, लेकिन आमजन से जुड़े करोड़ों के खजाने की मालिक लेखा शाखा ही है। निगम में गड़बड़झाले और घोटाले नई बात नहीं है। कभी एफडी तोड़ने तो कभी गलत तरीके से भुगतान मामले में इस शाखा पर अंगुली उठती रही है, लेकिन इन दिनों तो करोड़ों के खातों की वजह से अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। उड़े भी क्यों नहीं, एक इशारे पर खजाना एक बैंक से दूसरे बैंकों में ट्रांसफर हो जाता है। पिछले दिनों निगम अधिकारियों ने एफडी तो तोड़ी ही, बाकी बचे करोड़ों रुपये भी कई बैंकों में इधर-उधर कर दिए। एफडी तोड़कर करोड़ों रुपये खर्च करने का मामला शांत नहीं हुआ था कि एक और नई जांच बैठ गई है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के पुलिस अधीक्षक ने निगमायुक्त से इंडसइंड बैंक के एक खाते में जमा एफडी की जानकारी मांगी है।

गजब का तालमेल है..

सरकारी विभागों में गजब का तालमेल है। एक की टोपी दूसरे विभाग को कैसे पहनानी है, यह कला सरकारी कर्मचारी से ज्यादा किसी और में नहीं मिलेगी। तालमेल इतना है कि फायदे का होता है बंटवारा और आफत आए तो अपनी-अपनी। यहां बात हो रही है सोने की चिड़िया से कंगाल बन गए महकमे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की। विकसित सेक्टर नगर निगम को ट्रांसफर हो चुके हैं। पानी, सीवर और सड़क का जिम्मा निगम के पास है, लेकिन अगर सेक्टर मार्केट में अतिक्रमण है तो निगम नहीं एचएसवीपी एन्फोर्समेंट ही बुलडोजर चलाएगी। माना कि निगम वाले भी कम नहीं हैं, लेकिन एचएसवीपी एन्फोर्समेंट तो सिर्फ माथा देखकर ही टीका निकालती है। सेक्टर 29, 31, 44 व 46 में अतिक्रमण व अवैध रूप से लग रही सब्जी मंडियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। एचएसवीपी की जमीन पर अवैध रूप से कई शराब के ठेके भी बने हुए हैं।

क्या धमकी के बिना नहीं होता काम?

क्या नगर निगम के कर्मचारी और अधिकारी काम करना ही नहीं चाहते? काम करते तो शायद मेयर साहिबा को बार-बार शिकायतों की धमकी नहीं देनी पड़ती। काम समय पर होता है या नहीं ये तो शहर की जनता अपने तजुर्बे से अच्छी तरह जानती है। ऐसा नहीं है कि सभी अधिकारी एक जैसे हैं, लेकिन मेयर मधु आजाद के पास काम करवाने के लिए एक ब्रह्मास्त्र जरूर रहता है। बैठकों और जनता दरबार में उनका बार-बार यही कहना है कि अगर कोई भी अधिकारी, कर्मचारी बात नहीं सुनेगा तो केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज को शिकायत भेज दी जाएगी। ये बात अलग है कि न तो अभी तक किसी की शिकायत हुई है और न ही कोई एक्शन लिया गया। अब काम करवाने के सबके अपने-अपने तरीके हैं। खैर, छोड़िए! शिकायतों में रखा भी क्या है अगर धमकी ही से काम निकल जाए।

पार्षद क्यों हो गए मजबूर..

जनता के चुने हुए नुमाइंदे मजबूर नजर आ रहे हैं। पार्षदों की लामबंदी भी काम नहीं आ रही है। कई मुद्दों पर एकजुट पार्षदों की जब नहीं चली तो विरोध के स्वर भी शांत हो गए हैं। सदन की बैठकों में कचरा प्रबंधन का काम कर रही इको ग्रीन एनर्जी कंपनी का ठेका रद करने को लेकर हल्ला हुआ। बैठक में कंपनी की कार्यप्रणाली ठीक नहीं होने पर इसका भुगतान बंद करने का प्रस्ताव भी पास हो गया, लेकिन चंडीगढ़ से मिले फरमान के बाद इको ग्रीन का कामकाज तो दुरुस्त नहीं हुआ, लेकिन जनता की आवाज जरूर दब गई है। ऐसे ही सीएंडडी वेस्ट (मलबा) उठाने में हो रहे गड़बड़झाले की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। कई पार्षदों ने आवाज बुलंद की तो उनके वार्डो में निगम ने कामकाज बंद कर दिए। सदन की बैठक तीन माह से नहीं हो रही है। पार्षद इतने मजबूर क्यों हैं?


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.