मुखिया के कहने पर दे देते थे वोट
देश आजाद होने के बाद पहली बार 1952 में चुनाव हुआ। उस चुनाव को लेकर जनता में उत्साह था। जनता वोट डालने को लेकर जितनी उत्साहित थी। उतना ही पहली बार होने वाले चुनाव को देखने का भी उत्साह था। उस समय चुनाव में कोई पार्टी बाजी नहीं होती थी। गांव का मुखिया जिस प्रत्याशी के लिए वोट डालने के लिए कहता था। लोग उसी को वोट दे देते थे। पहले चुनाव में मेरा वोट नहीं था। पर चुनावी प्रक्रिया देखने के लिए जिज्ञासा बनी हुई थी। सहजावास गांव के प्राइमरी स्कूल में रिठौज व सहजावास गांव का पोलिग बूथ बनाया गया।
देश आजाद होने के बाद पहली बार 1952 में चुनाव हुआ। उस चुनाव को लेकर जनता में उत्साह था। जनता वोट डालने को लेकर जितनी उत्साहित थी, उतना ही पहली बार होने वाले चुनाव को देखने का भी उत्साह था। उस समय चुनाव में कोई पार्टीबाजी नहीं होती थी। गांव का मुखिया जिस प्रत्याशी के लिए वोट डालने को कहता था। लोग उसी को वोट दे देते थे। पहले चुनाव में मेरा वोट नहीं था। पर चुनावी प्रक्रिया देखने के लिए जिज्ञासा बनी हुई थी। सहजावास गांव के प्राइमरी स्कूल में रिठौज व सहजावास गांव का पोलिग बूथ बनाया गया। 1953 में फौज में भर्ती हो गया। उसके बाद गांव में आकर 1982 में वोट बनवाया। सर्विस वोट के लिए उस जमाने में इतनी जागरूकता नहीं थी। ना तो किसी ने कभी यूनिट में वोट के लिए फार्म भेजे, और ना ही हमें सर्विस वोट के बारे में जानकारी थी। अब तो सर्विस वोट को लेकर भी लोग जागरूक हो गए। सर्विस वोट के लिए हर यूनिट में कागज भेजे जाते हैं। सर्विस में रहते हुए भी लोग अपने वोट देते हैं। सर्विस वोट की भी अब काफी संख्या होती है। मतदान को लेकर लोगों में जिस तरह की जागरूकता आई है। वह मजबूत लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है।
- कैप्टन (रिटा.)बिशन सिंह खटाना जन्म तिथि - 5 जून 1935
पता- गांव रिठौज