लाइफस्टाइल: सेहत के साथ संस्कारी बना रहा ऑक्सोबर चैलेंज
इन दिनों सोशल मीडिया पर सोबराइटी नाम की चर्चा जोरों पर है।
प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
इन दिनों सोशल मीडिया पर सोबराइटी नाम की चर्चा जोरों पर है। लोग एक दूसरे को चैलेंज दे रहे हैं और स्वयं भी इसे अपना रहे हैं। अक्टूबर महीने में शुरू हुए इस चैलेंज में इंस्टाग्राम से लेकर फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में पोस्ट डाली जा रही हैं। असल में लोग इस अक्टूबर महीने को 'सोबराइटी' (मन पर नियंत्रण कर नशे से दूर रहना, संस्कारी होना) महीना घोषित कर रहे हैं। हमारे देश में धार्मिक कारणों से लोग, खासकर युवा अक्टूबर महीने को ड्राई महीने के तौर पर देख रहे हैं तो अन्य देशों में इस कॉन्सेप्ट को समाजसेवा के लिए अपनाया जा रहा है। ऐसे में 'सोबराइटी' या 'ऑक्सोबर' चैलेंज का जादू लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। क्या है कॉन्सेप्ट
अंग्रेजी शब्द 'सोबराइटी' यानी कि नशे की लत से दूरी और अक्टूबर को मिलाकर 'ऑक्सोबर' बनाया गया है। इस कॉन्सेप्ट का जन्म विदेश में हुआ लेकिन इस बार नवरात्र की शुरुआत के होने से इस महीने में यहां के लोग भी अल्कोहल से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में एक तरह से डीटॉक्स की राह पर तो चल ही रहे हैं, साथ ही समाज सेवा से भी जुड़ रहे हैं। ऐसे में नॉनवेज से लेकर अल्कोहल व धूमपान तक को त्याग कर पूरे महीने सात्विक रुटीन का अनुसरण करने का चैलेंज लेना सोशल मीडिया पर लगातार छा रहा है। ऐसे हुई थी शुरुआत
हालांकि लोग इस चैलेंज को नवरात्र से जोड़कर देखते हुए यह मान रहे हैं कि यह ट्रेंड यहीं से इजाद हुआ है, लेकिन असल में इस कॉन्सेप्ट का उद्भव तकरीबन दस वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। वहां अक्टूबर के महीने में 'ऑक्सोबर' मनाए जाने के पीछे मुख्य उद्देश्य चैरिटी का था। वहां 31 दिनों तक लतों से दूर रहकर लोगों द्वारा एकत्र किए धन को कैंसर पीड़ितों के इलाज के लिए दिया जाता है। क्या हैं 'ऑक्सोबर' के नियम
ऑक्सोबर चैलेंज तो लोग ले रहे हैं लेकिन अधिकतर लोग उसके नियमों को नहीं जानते। इसमें मुख्य रूप से अल्कोहल त्यागना, उन पैसों से असहायों की मदद करना, किसी भी रूप में नशीले पदार्थ का सेवन न करना और सबसे महत्वपूर्ण सोशल मीडिया से अधिक से अधिक समय तक दूरी बनाना ऑक्सोबर के नियमों में शामिल किया गया है।
यह ट्रेंड इस बार यहां आया है और काफी हिट हो रहा है। चाहे धार्मिक कारण हों या फिर समाजसेवा की प्रेरणा, यह चैलेंज लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
अमित, फिटनेस एक्सपर्ट, योगाहोलिक ऑक्सोबर के चैलेंज के पीछे केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि चैरिटी का भी उद्देश्य छुपा हुआ है। ऐसे में इसके दोहरे लाभ होंगे। लोग हेल्थ रुटीन के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ सकेंगे। लोगों को ध्यान रखना होगा कि इसका भी सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रदर्शन नियम तोड़ने की सीमा में आता है।
चांदनी अरोड़ा, फिटनेस एक्सपर्ट