कोरोना से लड़ने में महिलाओं ने दिखाया जीवट
महामारी के खतरे को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन के बाद घरों पर दबाव बढ़ गया। घर ही ऑफिस घर ही पाठशाला सभी सदस्य दिनभर एक साथ।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: महामारी के खतरे को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन के बाद घरों पर दबाव बढ़ गया। घर ही ऑफिस, घर ही पाठशाला, सभी सदस्य दिनभर एक साथ। ऐसे में महिलाओं ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए परिवारों को जो संबल दिया, उससे लोगों का आत्मविश्वास भी बरकरार रहा। महिलाओं ने इस दौरान परिवार के साथ-साथ अपनी सुरक्षा भी सुनिश्चित की। इसका प्रमाण इसी बात से मिलता है कि कुल कोरोना मरीजों में केवल 20 फीसद संख्या ही महिलाओं की हैं। कोरोना संकट शुरू होते ही स्वास्थ्य विभाग ने कोविड अस्पतालों में महिलाओं के लिए अलग से वार्ड बना दिए। वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए। महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाना जरूरी
मनोविज्ञानी डॉ. गरिमा यादव का कहना है कि इस दौरान महिलाओं महिलाओं पर भी खतरे बराबर के हैं। जहां अस्पतालों और कार्यालयों में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है वहीं घरों पर उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। इसका कारण हैं कि महिलाएं ही हैं जोकि अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाह कर परिवार के हर सदस्य की बीमारियों से सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
कोरोना मरीजों के इलाज में जुटीं डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि एक महिला होने के नाते उनकी जिम्मेदारियों को क्षेत्र बढ़ जाता है लेकिन वे फिलहाल परिवार से ज्यादा मरीजों पर ध्यान दे रही हैं। उनका कहना है कि परिवार से दूर रहना ही इस समय परिवार की सबसे बड़ी सुरक्षा है। उनका कहना है कि महिलाओं को पूरा परिवार चलाना होता है ऐसे में उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।