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जागरण सरोकार: पर्यावरण संरक्षण: घर-बार छोड़ बन गए पर्यावरण प्रहरी

जिंदगी में पैसा ही कमाना व्यक्ति की हसरत नहीं होनी चाहिए। देश और समाज

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 07:25 PM (IST)
जागरण सरोकार: पर्यावरण संरक्षण: घर-बार छोड़ बन गए पर्यावरण प्रहरी
जागरण सरोकार: पर्यावरण संरक्षण: घर-बार छोड़ बन गए पर्यावरण प्रहरी

सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम

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जिंदगी में पैसा ही कमाना व्यक्ति की हसरत नहीं होनी चाहिए। देश और समाज के लिए कुछ करने की लालसा होना जरूरी है। इसी बात को मूलमंत्र मानकर दिल्ली निवासी राजेश वत्स (72) ग्रहस्थ जीवन छोड़कर वानप्रस्थ जीवन जीने की ठानी। पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्प लेकर उन्होंने पंद्रह साल पहले घर परिवार छोड़ दिया और गुरुग्राम के गैरतपुर बास गाव के पास करीब चार एकड़ जमीन खरीद उसे हरा-भरा करने में लग गए। अरावली पहाड़ी से सटी अनूसचित जमीन पर उन्होंने अब हरा-भरा बागान खड़ा कर दिया है। यहीं पर उन्होंने छोटा सा आश्रम बना रखा है। जिसे केशव धाम का नाम दिया।

केशव धाम को हरियाली से भरने के लिए इस बुजुर्ग ने भूजल से अधिक बरसाती पानी का उपयोग किया। बरसात के समय अरावली पहाड़ी से आने वाले पानी का संचयन कर पेड़ों की ड्क्षसचाई की। उनका संकल्प भी पूरा होता दिखाई दे रहा है। पंद्रह साल पहले जहा पर विलायती बबूल का जंगल था वहा पर आम, नींबू, सेब, अनार और अन्य फलदार पेड़ों के साथ-साथ पीपल, नीम, बरगद और अन्य छायादार पेड़ भी लहलहाते नजर आते हैं। उन्होंने अपनी ही जमीन पर ही नहीं उससे सटी अरावली पहाड़ी को भी हरा-भरा कर दिया। समीपवर्ती गावों के लोगों को भी पौधे लगाने और जल संचयन करने के लिए प्रेरित करते हैं। हालाकि आम, सेब के पौधे जब लगाए थे लोगों ने उन्हें जिद्दी बताकर यह कहना शुरू किया था कि यहा की पथरीली जमीन पर आम और सेब के पेड़ नहीं तैयार होंगे। लेकिन जब पेड़ तैयार हुए और फलों की मिठास का अहसास ग्रामीणों को हुआ तो वह बुजुर्ग को फलवाले बाबा के नाम से पुकारने लगे हैं। यहीं नहीं ग्रामीण भी बागवानी पर जोर देने लगे हैं। अरावली की पहाडिय़ों के समीप स्थित केशवधाम पर्यावरण संरक्षण के लिए वरदान साबित हो रहा है। अरावली में जहा दूर-दूर तक हरियाली नजर नहीं आती है, वहीं केशवधाम में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। राजेश वत्स बताते है कि इस क्षेत्र में हरियाली होने के कारण पानी का जलस्तर आसपास के जलस्तर से काफी अच्छा है। जलस्तर कई सालों से भूजल स्तर भी स्थिर बना हुआ है। उसकी एक बड़ी वजह बरसाती पानी का जल संचयन हैं। आश्रम में ही उन्होंने वाटर रिचार्ज करने के लिए कई पिट बना रखे हैं। डीडीए में ठेकेदारी कराते थे

दिल्ली के पश्चिम विहार के एक संपन्न परिवार से तालुक रखते हैं। वह स्वयं दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के लिए ठेकेदारी करते थे। वहीं उनके भाई एमसी वत्स काग्रेस से विधायक रह चुके हैं। राजेश परिवार से पंद्रह साल से दूर धरती मा की सेवा में लगे हुए हैं। वे घर छोडऩे के बाद मा के निधन पर अपने घर गए थे। बच्चों, पत्‍‌नी और संबंधी उनसे मिलने के लिए आश्रम ही आते हैं।

लगे हैं सैकड़ों किस्म के पौधे

यहा कई किस्म के आम के पेड़ हैं। आम के पेड़ों को फलों से लदे हुए देखकर विश्र्वास ही नही होता कि इस अरावली में भी इस कदर आम की पैदावार हो सकती है। सबसे खास बात यह है कि फल को कोई तोड़ता नही है। धाम के संचालक राजेश वत्स इन फलों को पक्षियों को खाने के लिए किसी को तोडऩे नहीं देते है। आने वाले लोग केवल पेड़ से नीचे गिरे फल ही उठाते है। औषधीय पौधे लगे हैं। तेजपत्ता, दालचीनी, इलायची, लौंग, आवला, कई प्रकार की तुलसी बास के पेड़ और रुद्राक्ष के बड़े-बड़े वृक्ष दिखाई देते है। इस हरियाली भरे माहौल में अनेकों पक्षी इस में विचरण करते है। आश्रम में देशी गाय पाल रखी हैं। गर्मी से बेचैन पक्षियों और जानवर भी सुकून के लिए आश्रम आ जाते हैं। यहा काफी संख्या में मोर रहते हैं कोयल की कू-कू भी सुनाई देती है। तोता, मैना, बुलबुल, कोयल, कबूतर अनेकों के पक्षियों की प्रजातिया इसमें देखने को मिलती है।

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समय-समय पर होते है केशव धाम में धार्मिक आयोजन

केशवधाम में समय-समयपर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते रहते है। यहा पर सवा करोड़ गायत्री के पाठ भी हो चुके है। सावन के महीने में आश्रम में ही बने शिवजी के मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। कार्तिक मास में रासलीला का आयोजन किया जाता है। देवोत्थानी एकादशी को इस रासलीला का समापन किया जाता है। रासलीला का आयोजन वृंदावन के कलाकार करते है। धीर-धीरे रासलीला आसपास के लोगों के लिए एक उत्साह का सा माहौल बनाता जा रहा है।


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