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एचएसवीपी की परियोजनाओं के रेट में भी गड़बड़झाले का अंदेशा

रियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) विभाग की इंजीनिय¨रग ¨वग की निर्माणाधीन परियोजनाओं में पिछले दिनों आरटीआइ में अनियमतताओं के खुलासे में एक नई बात और सामने आई है। परियोजनाओं के निर्माण में जो रेट तय किए जाते हैं उसमें भी बड़े गड़बड़झाले का अंदेशा जताया जा रहा है और यह भी जांच का एक बड़ा विषय है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 07:01 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 07:01 PM (IST)
एचएसवीपी की परियोजनाओं के रेट
 में भी गड़बड़झाले का अंदेशा
एचएसवीपी की परियोजनाओं के रेट में भी गड़बड़झाले का अंदेशा

गौरव ¨सगला, नया गुरुग्राम

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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) विभाग की इंजीनिय¨रग ¨वग की निर्माणाधीन परियोजनाओं में पिछले दिनों आरटीआइ में अनियमतताओं के सामने आने में एक नई बात पता चली है। परियोजनाओं के निर्माण में जो रेट तय किए जाते हैं, उसमें भी बड़े गड़बड़झाले का अंदेशा जताया जा रहा है और यह भी जांच का एक बड़ा विषय है।

आरटीआइ में मिली जानकारी के अनुसार एचएसवीपी विभाग के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में निर्माणाधीन बहुउद्देश्यीय हॉल व सेक्टर-56 में कंट्री क्लब समेत दोनों ही परियोजनाओं में वस्तु दर (आइटम रेट) में बड़ा खेल किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में भवन निर्माण के लिए सरकारी रेट के मापदंड तय किए गए हैं और भवन निर्माण के लिए हरियाणा शेड्यूल रेट्स (एचएसआर) के तहत आने वाले आइटम के हिसाब ही प्रोजेक्ट के निर्माण किए जाते हैं।

आरटीआइ में मिले कागजात में दोनों ही परियोजनाओं में कई आइटम ऐसे दर्शाए गए हैं, जिनका हरियाणा शेड्यूल रेट्स में प्रावधान होने के बाद भी डीएसआर (दिल्ली शेड्यूल रेट्स) के आइटम लिए गए हैं। जबकि प्रावधान यह है कि यदि कोई आइटम एचएसआर में नहीं है तभी केवल डीएसआर से लिए जा सकते हैं। वह भी चीफ इंजीनियर की स्वीकृति के बाद ही लिए जाते हैं। जबकि इन परियोजनाओं में कई आइटम डीएसआर से लिए गए हैं। इससे परियोजनाओं में विभाग के राजस्व को करोड़ों रुपये का चूना लगेगा क्योंकि जो आइटम डीएसआर के हिसाब से लिए गए हैं, वह हरियाणा शेड्यूल रेट के मुकाबले काफी ज्यादा महंगे हैं जिससे सीधा-सीधा विभाग को चूना लगेगा।

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आरटीआइ में मिले कागजों से पता चलता है कि निर्माण कार्य के आइटम रेट में भी बड़ा गड़बड़झाला हुआ है। इसकी सेवानिवृत चीफ इंजीनियर से गहराई से जांच होनी चाहिए।

- हरेन्द्र धींगड़ा, आरटीआइ कार्यकर्ता


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