ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा बर्दाश्त
ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर दैनिक जागरण के आदित्य राज ने पुलिस आयुक्त मोहम्मद अकील से विस्तृत बातचीत की।
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट एक सितंबर से लागू हो गया। इससे यह सच्चाई सामने आ गई कि अधिकांश लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। वे अनाधिकृत रूप से सड़कों पर वाहन चलाते हैं। इसका प्रमाण है एकल सेवा केंद्र में ड्राइविग लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंचने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि। पहले जहां रोजाना औसतन 200 लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंचते हैं वहीं अब प्रतिदिन औसतन 500 से अधिक लोग पहुंच रहे हैं। यही नहीं प्रदूषण जांच केंद्र पर वाहनों की जांच कराने के लिए लाइनें लग रही हैं। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में अपने वाहनों के कागजात ठीक कराने वालों की लाइन लग रही है। इन सब स्थिति को देखते हुए क्या अब यह माना जा सकता है कि अब ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से लोग डरेंगे या फिर कुछ दिनों की हलचल है सहित कई सवालों को लेकर दैनिक जागरण के आदित्य राज ने पुलिस आयुक्त मोहम्मद अकील से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश : क्या लगता है संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट से व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी?
- देखिए, व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर लाने के लिए सख्त नियम के साथ ही जागरूकता आवश्यक है। केवल सख्ती बरतने से ही व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, ऐसा सोचना गलत है। जब तक सख्ती की जाएगी तब तक तो सबकुछ सही रहेगा लेकिन जैसे ही ढील दी जाएगी फिर स्थिति जस की तस बन जाएगी। इसलिए जागरूकता पैदा करने पर आगे सख्ती दिखाने की आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी। लोग अपने आप ही ट्रैफिक नियमों का पालन करेंगे। ट्रैफिक पुलिस के साथ ही थाना पुलिस भी लोगों को जागरूक कर रही है। स्कूलों एवं कॉलेजों में सेमिनार आयोजित करने पर और अधिक जोर दिया जाएगा। जगह-जगह वाहनों की जांच किए जाने से ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित होने लगी है?
- इसे देखते हुए ट्रैफिक पुलिस से कहा गया है कि वे कागजों की जांच के लिए वाहनों को न रोकें। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते यदि कोई दिखता है तो उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की हमदर्दी न दिखाएं। नियमों को तोड़ने वाले न केवल अपने लिए खतरा मोल लेता है बल्कि दूसरों के लिए भी वह परेशानी का कारण बन सकता है। उदाहरण स्वरूप यदि कोई वाहन अधिक स्पीड से चला रहा है तो वह स्वयं भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है और सामने वाले को भी नुकसान पहुंचा सकता है। कहने का अभिप्राय यह है कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। क्या संशोधित एक्ट को सही से पालन करवाने के लिए पुलिसकर्मियों की ट्रेनिग नहीं होनी चाहिए?
- बिल्कुल ट्रेनिग होनी चाहिए। इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। नियमों की पालना कराने वाले को सबसे पहले उसके ऊपर स्वयं खरा उतरना चाहिए। अनुशासित व्यक्ति ही दूसरे को अनुशासित रहने का बेहतर संदेश दे सकता है। यही नहीं बेहतर तरीके से काम करने के लिए आपके पास संबंधित विषय की बारीकी से जानकारी होनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस से लेकर थाना पुलिस को भी नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रेनिग दी जाएगी ताकि उनसे चालान करने के दौरान किसी भी स्तर पर चूक न हो। साथ ही जब वे लोगों को जागरूक करें तो उन्हें पूरी तरह संतुष्ट कर सकें। संशोधित एक्ट की जानकारी देने के लिए पंपलेट आदि भी वितरित करने पर जोर दिया जाएगा। अनुशासन हर तरफ दिखाई दे, इसके लिए लोगों से क्या कहना चाहेंगे?
- मैं लोगों से यही अपील करना चाहता हूं कि जब तक आपका सहयोग नहीं प्राप्त होगा तब तक कोई भी व्यवस्था बेहतर तरीके से पटरी पर नहीं आ सकती। एक-एक इंच पर आपके ऊपर नजर नहीं रखी जा सकती है। सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस नियमों को तोड़ने वालों के ऊपर नजर रखेगी लेकिन गलियों में कौन ध्यान देगा। यह सोचने का विषय है। गलियों में बच्चे खेलते रहते हैं। अधिक स्पीड से यदि बाइक निकलेगी तो वे दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। इसके लिए एक-एक व्यक्ति को अनुशासित होना पड़ेगा। उन्हें अहसास होना चाहिए कि उनकी एक चूक का खामियाजा किसी को ताउम्र भुगतना पड़ सकता है। आवश्यकता है ट्रैफिक नियमों का ईमानदारी से पालन करें। स्वयं से सवाल करें कि क्या रेड लाइट को क्रास करना चाहिए, क्या बिना हेलमेट पहने बाइक चलानी चाहिए आदि। जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं हैं वे लाइसेंस बनवाएं, अपने वाहनों के कागजात ठीक कराएं, बच्चों के हाथों में न बाइक दें और न ही कार, हेलमेट लगाकर बाइक व सीट बेल्ट लगाकर कार चलाएं, रेड लाइट क्रास न करें, ओवर स्पीड वाहन न चलाएं, ओवरलोड वाहन न चलाएं।
परिचय
नाम: मोहम्मद अकील
जन्मतिथि : 1 जनवरी 1966
शिक्षा : बीटेक (सिविल इंजीनियरिग)
सेवा : 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आइपीएस। कई जिलों में पुलिस अधीक्षक रहे। पदोन्नति के बाद पुलिस महानिरीक्षक (लॉ एंड आर्डर) बनाए गए। पुलिस महानिरीक्षक से पदोन्नत होने के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड आर्डर) बने। केंद्र में डेपुटेशन पर भी रहे। वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) के साथ गुरुग्राम पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।