¨जदगी से बढ़कर नहीं है परीक्षा: अनुराग त्रिपाठी
बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने को हैं। परीक्षार्थियों में तनाव और डर का माहौल है। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अक्सर ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं कि बच्चे तनावग्रस्त होकर गलत कदम उठा लेते हैं। कहीं न कहीं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड विद्यार्थियों के इस तनाव को समझने लगा है। यही वजह है कि परीक्षा पैटर्न और क्लासरूम पढ़ाई को विद्यार्थी केंद्रित बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। बोर्ड परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों के पैटर्न में बदलाव, परीक्षाओं को सुगम बनाने के उपायों, विद्यार्थियों के ऊपर से बोझ को हटाने के लिए सीबीएसई क्या योजनाएं बना रहा है? स्कूलों में विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जा रहा है? और सबसे बड़ी बात की विद्यार्थी को बोर्ड परीक्षाओं को किस तरह से देखना चाहिए, इन सभी मुद्दों पर दैनिक जागरण की वरिष्ठ संवाददाता प्रियंका दुबे मेहता ने जीपीएससी के 17वें वार्षिक सम्मेलन में गुरुग्राम पहुंचे सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश :
बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने को हैं। परीक्षार्थियों में तनाव और डर का माहौल है। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अक्सर ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं कि बच्चे तनावग्रस्त होकर गलत कदम उठा लेते हैं। कहीं न कहीं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड विद्यार्थियों के इस तनाव को समझने लगा है। यही वजह है कि परीक्षा पैटर्न और क्लासरूम पढ़ाई को विद्यार्थी केंद्रित बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। बोर्ड परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों के पैटर्न में बदलाव, परीक्षाओं को सुगम बनाने के उपायों, विद्यार्थियों के ऊपर से बोझ को हटाने के लिए सीबीएसई क्या योजनाएं बना रहा है? स्कूलों में विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जा रहा है? और सबसे बड़ी बात की विद्यार्थी को बोर्ड परीक्षाओं को किस तरह से देखना चाहिए, इन सभी मुद्दों पर दैनिक जागरण की वरिष्ठ संवाददाता प्रियंका दुबे मेहता ने जीपीएससी के 17वें वार्षिक सम्मेलन में गुरुग्राम पहुंचे सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश : विद्यार्थियों में इस तनाव को दूर करने के लिए सीबीएसई क्या कदम उठा रहा है?
विद्यार्थियों के बढ़ते तनाव को देखते हुए सीबीएसई प्रश्नपत्रों के पैटर्न को सुगम बनाने के साथ साथ प्रश्नपत्र को छोटा बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है। आने वाले सत्र से प्रश्न पत्र को 16 पन्नों से घटाकर 6 पन्नों का करने की योजना है जिसपर काम चल रहा है। इसके अलावा परीक्षा के उपनियमों को भी छोटा किया जा रहा है। प्रश्नपत्रों के एन्क्रिप्शन पर भी काम हो रहा है। आज अधिकतर विद्यार्थी शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने की होड़ में समझने से ज्यादा रटने पर जोर देते हैं? इस से बचने के लिए और विद्यार्थियों की लॉर्निंग प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के तरीके में कुछ बदलाव करने की योजना है?
मैं स्कूलों में भी यही सलाह देता हूं कि क्लारूम लर्निंग पर जोर दिया जाए। बच्चों को चीजें रटाने के बजाय उनके जीवन के उदाहरणों से जोड़कर पढ़ाया जाए। ऐसे में वह सही तरीके से ज्ञानार्जन कर सकेगा। सीबीएसई अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार करके रटने की प्रवृति घटाने की कोशिश करेगा। अब उत्तर पुस्तिकाओं की जांच इस प्रकार होगी कि विद्यार्थियों के रचनात्मक उत्तरों को बेहतर अंक दिए जाएं। इसके अलावा मार्किंग थोड़ा विद्यार्थियों की मेहनत को ध्यान में रखकर किए जाने के बारे में बताया जा रहा है। सीबीएसई क्लासरूम एजुकेशन को लेकर किया तरह का नयापन ला रही है? इसको लेकर लेकर जीपीएससी (गुड़गांव प्रोग्रेसिव स्कूल काउंसिल) सम्मेलन में आपने किस तरह के सुझाव दिए हैं?
मैने पहले भी बताया कि अब क्रिएटिव (रचनात्मक) उत्तरों में बेहतर अंक दिए जाएंगे। ऐसे में शिक्षकों को बताया जा रहा है कि वे विद्यार्थियों को रचनात्मक तरीकों से पढ़ाएं। मैंने प्राचार्यों और शिक्षकों को यही सलाह दी कि वे कक्षा के पठन-पाठन को रोचक बनाएं। हैप्पीनेस इंडेक्स को बढ़ाएं ताकि बच्चों को पढ़ाई बोझिल नहीं बल्कि रुचिकर लगे। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों में जो डर है, उसे किस तरह से दूर क्या करना चाहिए?
बच्चों और अभिभावकों, दोनों को ही यह बात समझनी होगी कि कोई भी परीक्षा ¨जदगी से बढ़कर नहीं है। बच्चों को केवल अंक प्राप्त करने के लिए पढ़ाई नहीं करनी चाहिए बल्कि उसे ज्ञान ग्रहण करना चाहिए। परीक्षाओं के लिए तैयारी करें लेकिन तनाव लेकर नहीं। अंकों की होड़ में न पड़कर अपना बेहतर देने की कोशिश करें। अभिभावक भी बच्चों की क्षमता को पहचानें, बच्चों पर अतिरिक्त तनाव न दें क्योंकि जितनी तैयारी करनी थी परीक्षाओं से पहले बच्चा कर चुका है। विद्यार्थियों में अक्सर तनाव व अवसाद से लेकर अपराध तक की घटनाएं देखने में आती हैं, ऐसे में स्कूलों में सुरक्षा को लेकर आपके क्या सुझाव हैं?
स्कूलों में सुरक्षा के मानकों को पूरा करने के लिए सीसीटीवी से लेकर बाउंड्री वॉल तक पर काम किया जा रहा है लेकिन स्कूलों को यह देखना होगा कि डिप्रेशन, तनाव व अपराध की भावना कहीं विद्यार्थी के अपने मन में तो नहीं। स्कूलों को विद्यार्थियों के मन के भीतर के असुरक्षा के भाव को खत्म करने की जरूरत है।