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बच्चों में सॉफ्ट स्किल भरने का सशक्त माध्यम हैं फिल्में

सेक्टर 45 स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल गुरुग्राम में इंटरनेशनल किड्स फिल्म फेस्टिवल (आइकेएफएफ) का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 07:51 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 06:17 AM (IST)
बच्चों में सॉफ्ट स्किल भरने का सशक्त माध्यम हैं फिल्में
बच्चों में सॉफ्ट स्किल भरने का सशक्त माध्यम हैं फिल्में

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

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आज के दौर में बच्चों को सही राह पर ले जाकर उन्हें शिक्षित व जागरूक करने के लिए केवल अकादमिक ज्ञान काफी नहीं है। सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन की चुनौतियों के बीच बच्चों को सही शिक्षा देना और उनके अंदर सॉफ्ट स्किल्स का विकास केवल किताबी शिक्षा से ही संभव नहीं है। ऐसे में फिल्मों के जरिये भी बच्चों को जीवन मूल्यों से जोड़ा सकता है। ऐसी ही पहल के तहत सेक्टर-45 स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल, गुरुग्राम में इंटरनेशनल किड्स फिल्म फेस्टिवल (आइकेएफएफ) का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों को बच्चों पर बनी शॉर्ट फिल्में दिखाई गई और फिर पैनल डिस्कशन में फिल्मों द्वारा बच्चों में मूल्यों व जागरूकता के संचार पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम के आयोजक व फिल्म निर्माता सईद सुल्तान अहमद ने इस मौके पर दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि वे पहले लाइफ स्किल ट्रेनर थे और विभिन्न कंपनियों में काम करते हुए उन्होंने पाया कि बड़ी संख्या में बच्चों तक पहुंचने के लिए बहुत बड़ी टीम की जरूरत होगी। ऐसे में उन्होंने सोचा कि कि फिल्में बनाई जाएं जिनके जरिये वे एक समय में ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंच सकें। उन्होंने इसके लिए 'स्कूल्स सिनेमा' की अवधारणा बनाई और वे देश भर के स्कूलों में जाकर किड्स फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करवाते हैं और विद्यार्थियों को फिल्में दिखाते हैं।

बाल फिल्मों के निर्माता और अवार्ड विजेता सुल्तान ने कहा कि उन्होंने देश विदेश के बाल फिल्म महोत्सवों में हिस्सा लिया और जाना कि उससे बच्चों की मनोस्थिति पर कितना प्रभाव पड़ सकता है लेकिन एक चुनौती यह है कि यह फिल्में केवल फिल्म महोत्सवों तक ही सीमित रह जाती हैं, न इंटरनेट पर उपलब्ध हैं न ही कहीं रिलीज होती हैं। ऐसे में उन्होंने बीड़ा उठाया कि वे फिल्म फेस्टिवल को स्कूलों तक ले जाएंगे।

इस मौके पर दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्राचार्य अदिति मिश्रा ने कहा कि इस तरह का ज्ञानवर्धक बाल फिल्मों के माध्यम से निश्चित रूप से बच्चों में मूल्यों व जागरूकता का संचार किया जा सकेगा। विद्यार्थियों ने भी इन फिल्मों की सराहना की।


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