बढ़ रही आबादी, सिकुड़ रहा ड्रेनेज सिस्टम
साइबर सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम की तस्वीर पिछले 15 साल में हर लिहाज से बदल गई है। तेजी से बढ़ती आबादी और उस स्तर पर सुविधाएं नहीं होने के नतीजे अब सामने आने लगे हैं।
संदीप रतन, गुरुग्राम
साइबर सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम की तस्वीर पिछले 15 साल में हर लिहाज से बदल गई है। तेजी से बढ़ती आबादी और उस स्तर पर सुविधाएं नहीं होने के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण 19-20 अगस्त को हुई 121 एमएम बारिश है, इस दौरान पुराने शहर के साथ-साथ नए गुरुग्राम के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। गोल्फकोर्स रोड के अंडरपासों में जलभराव होने के साथ ही सोसायटियों की बेसमेंट पार्किंग में महंगी गाड़ियां डूब गई थीं।
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक पूरे जिले की जनसंख्या 8.70 लाख था, जो 2011 में लगभग दोगुना यानी 15.14 लाख पहुंच गई। उद्योगों और आईटी का हब होने के कारण यहां आबादी का गणित अलग है। अकेले गुरुग्राम शहर में ही लगभग 30 लाख लोग रहते हैं। 90 के दशक में पुराने शहर के सेक्टर बसाए गए थे और नए गुरुग्राम की कई बिल्डर कॉलोनियां विकसित होना शुरू हुई थी। लेकिन 2005 के बाद गुरुग्राम में आईटी कंपनियों, नए उद्योग आने से नौकरीपेशा लोगों का रुझान इस तरफ होने से आबादी तेजी से बढ़ रही है। मानसून सीजन में हर साल बाढ़ जैसे हालात पैदा होने का कारण ड्रेनेज सिस्टम का दुरुस्त नहीं होना है। नई ड्रेनों का नहीं हो रहा निर्माण
दिल्ली-जयपुर हाइवे पर जलभराव की समस्या का समाधान नहीं होने से ट्रैफिक जाम लगता है। हीरो होंडा चौक से खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक बरसाती पानी की निकासी के लिए करीब दस किलोमीटर लंबी खुली ड्रेन बनी हुई है। वाटिका चौक की तरफ से आने वाला बारिश का पानी इस ड्रेन से होकर हाइवे की ड्रेन तक पहुंचता है और काफी दबाव पैदा करता है। बरसाती नाला उफनने से हाइवे के निचले इलाकों नरसिंहपुर, बहरामपुर, खेड़कीदौला और मोहम्मदपुर में बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं। यहां पर नई बरसाती ड्रेन का निर्माण करने की जरूरत है। बरसाती ड्रेनों में जुड़े हैं सीवर कनेक्शन
अरावली पहाड़ी (घाटा और सिकंदरपुर) से नीचे की तरफ शहर में बारिश का पानी आता है। शहर को बाढ़ से बचाने के लिए और बारिश के पानी को नजफगढ़ ड्रेन में पहुंचाने के लिए तीन ड्रेन लेग-1, लेग-2 और लेग -3 यानी बादशाहपुर ड्रेन बनी हुई है, लेकिन इन ड्रेनों में भी अवैध रूप से सीवर कनेक्शन जुड़े हुए हैं। लेग-1 ड्रेन सिकंदरपुर अरावली से शुरू होकर डीएलएफ, उद्योग विहार, सेक्टर 21, 22, 23, पालम विहार और सेक्टर 109 होते हुए नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ी हुई है। लेग-2 सेक्टर 42, सेक्टर 27, 28, 29 और हुडा सिटी सेंटर, माता मंदिर रोड, अशोक विहार, सेक्टर 109 से गुजरते हुए नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ी है। लेग-3 यानी बादशाहपुर ड्रेन घाटा अरावली पहाड़ी क्षेत्र से शुरू होकर वाटिका चौक, हीरो होंडा चौक और सेक्टर 99 के नजदीक नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ी हुई है।
बादशाहपुर ड्रेन के चौड़ीकरण का कार्य खांडसा गांव के नजदीक अधूरा है। पुराने शहर के नगर निगम क्षेत्र में ज्यादातर जगह पर सालों पहले बनाई गई खुली ड्रेनों से ज्यादा परेशानी है। ड्रेनों में कचरा भरने से जलनिकासी नहीं हो पाती है और सड़कों पर जलभराव हो जाता है। जलभराव के कारणों और उपायों पर मंथन के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है। सभी विभागों से तालमेल कर इस समस्या का समाधान किया जाएगा।
प्रदीप कुमार, मुख्य अभियंता गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण