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शिव गौरी कुंड में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की

ईंछापुरी स्थित प्राचीन शिवमंदिर में बनाए गए शिव गौरी कुंड में आज भगवान शिव की सवा नों फुट ऊंची एवं साढ़े छह टन वजनी मूर्ति हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास त्यागी के सान्न्धि्य में शास्त्रोक्त विधि विधान के साथ स्थापित की गई। इस आयोजन में क्षेत्र भर के हजारों लोग सम्मिलित हुए। इससे पूर्व प्रात: गांव में मूर्ति की ग्राम परिक्रमा करवाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 05:18 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 05:47 PM (IST)
शिव गौरी कुंड में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की
शिव गौरी कुंड में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की

संवाद सहयोगी, पटौदी: ईंछापुरी स्थित प्राचीन शिवमंदिर में बनाए गए शिव गौरी कुंड में भगवान शिव की सवा नौ फुट ऊंची एवं साढ़े छह टन वजनी मूर्ति हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास त्यागी के सानिध्य में विधि विधान के साथ स्थापित की गई। मूर्ति स्थापना के बाद एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों साधु संन्यासियों के अलावा हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

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इससे पूर्व प्रात: गांव में मूर्ति की ग्राम परिक्रमा करवाई गई। बाद में एक क्रेन की सहायता से मूर्ति आधार पर रखी गई एवं विधि विधान के साथ उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस आयोजन में भाजपा नेता रवि चौधरी, कांग्रेसी नेता सुधीर चौधरी, पंचायत समिति चेयरमैन राकेश यादव, सरपंच एकता मंच के जिलाध्यक्ष अजीत ¨सह, जिला पार्षद भूपेंद्र पलासोली, जिला पार्षद दीप चंद, जिला पार्षद विजयपाल शंटी, जिला पार्षद राकेश बिलासपुर, ग्राम के सरपंच बिजेंद्र यादव, पूर्व नगर पालिका प्रधान शिव कुमार गुप्ता, सत नारायण मिर्जापुर, कर्मबीर मिलकपुर, सरपंच जयबीर यादव, सरपंच मुकेश गुढाना, सरपंच सतप्रकाश नानूखुर्द, रमेश गर्ग, द्वारका प्रसाद रूस्तगी, नरेश गुप्ता, दीपक खंडेवला, सुनील यादव, विक्रम ठेकेदार, शाम लाल अग्रवाल, श्रीपाल चौहान तथा श्रीकृष्ण शर्मा सहित अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इस प्राचीन शिव मंदिर की इस क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक काफी मान्यता है। मंदिर के निकट एक तालाब था जो वर्तमान में सूखा पड़ा हुआ था। इधर मंदिर स्थल एवं आसपास के क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर वर्तमान में काफी खारा है। ऐसे में महंत गोपाल दास एवं अन्य गण्यमान्य लोगों ने यहां सरोवर बनाकर उसे नहरी पानी से भरने एवं कुंड के बीचों बीच आधार बनाकर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाई। ताकि एक ओर मंदिर आने वाले कांवड़ियों एवं श्रद्धालुओं को स्नान करने का स्थान मिल सके एवं कुंड में नहरी पानी भरने से भूमिगत जल मीठा हो सके। आखिरकार एक लंबे प्रयास के बाद आज इस योजना को आज मूर्त रूप दिया गया।


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